दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं है। हालांकि, पार्टी से जुड़े कई नेता यह बताते हैं कि अगले वर्ष फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह जो ट्रेलर चल रहा है, वह पद के लिए ही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पूरी लड़ाई इस बात की है कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा।
वैसे, देखा जाए तो पंजाब में कांग्रेस पार्टी में लड़ाई सिर्फ अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू नहीं है। यहां पार्टी कई खेमों में बंटी हुई है और अमरिंदर सिंह का विरोध सिद्धू के अलावा कई और बड़े नेता भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में कुछ हफ्तों पहले पार्टी के कुछ नेताओं ने यहां तक कह दिया कि आगामी फरवरी में होने वाले विधानससभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में जीत हासिल नहीं की जा सकती। कैप्टन के विरोधी इस बात से काफी नाराज हैं कि वर्ष 2015 में कोटकपुरा पुलिस फायरिंग केस में शामिल लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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पद को लेकर सिद्धू जो कह रहे क्या वह पूरा सच है?हालांकि, अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच जो ताजा विवाद है, उसको लेकर पार्टी की ओर से बनाई गई सुलह समिति ने विकल्प दिया कि राज्य में दो उपमुख्यमंत्री बना दिए जाएं। इसमें एक नाम सिद्धू का है। मगर अमरिंदर के साथ बैठक से ठीक पहले सिद्धू ने ट्वीट कर अपना रुख बता दिया कि उन्हें पद का कोई लालच नहीं है और अमरिंदर के खिलाफ उनकी लड़ाई पद को लेकर नहीं है। माना जा रहा है कि सिद्धू विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनना चाहते हैं। इसके अलावा, वह पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी काबिज होना चाहते हैं। अभी सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के प्रमुख हैं और उन्होंने कहा कि पार्टी हित में आलाकमान जो निर्णय लेगा, वह उन्हें स्वीकार होगा। मगर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान सिद्धू की इन मांगों को गंभीरता से नहीं लेगी।
वैसे, सुनील जाखड़ को यदि पद से हटाया जाता है, तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यह अमरिंदर की हार होगी, क्योंकि जाखड़ अमरिंदर सिंह के करीबी माने जाते हैं। विश्लेषकों की मानें तो ऐसा राज्य जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं, वहां मुख्यमंत्री या तो खुद पार्टी का अध्यक्ष रहना चाहेगा या फिर अपने किसी करीबी को उस पद पर रखना चाहेगा, क्योंकि टिकट वितरण के दौरान प्रदेश अध्यक्ष का पद काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
बहरहाल, पार्टी सूत्रों की मानें तो आलाकमान अध्यक्ष पद पर बदलाव कर सकता है, ऐसे में इसके लिए विजय इंदर सिंगला और मनीष तिवारी का नाम भी सामने आ रहा है। सिंगला को राहुल गांधी और कैप्टन दोनों का करीबी माना जाता है, जबकि मनीष तिवारी के नाम पर गांधी परिवार शायद तैयार नहीं हो। असल में चुनाव में जाने के लिए कांग्रेस किसी ऐसे व्यक्ति को राज्य में पार्टी की कमान सौंपना चाहती है, जो दलित और जाट सिख वोटों के बीच सामंजस्य बनाकर रखे।
अब बात नवजोत सिंह सिद्धू के ट्वीट की करते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट में यह कह कर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं है। सिद्धू अपनी लड़ाई को पंजाब की अस्मिता से जोडक़र बता रहे हैं। उनका आरोप है कि अमरिंदर सरकार ने कोटकपुरा में पुलिस फायरिंग मामले की जांच गंभीरता से नहीं कराई। इस मामले में बादल परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके साथ नरमी बरती गई।
हालांकि, सिद्धू के आरोपों के जवाब में कैप्टन भी अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं। कैप्टन के मुताबिक, इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी और एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बादल परिवार को क्लीन चिट दे दिया था। सिद्धू ने जब इस तर्क को नहीं माना, तो कैप्टन ने एक बार फिर से जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। कैप्टन मानकर चल रहे थे कि उनके इस कदम से सिद्धू अपने रुख में बदलाव लाएंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
नवजोत सिंह सिद्धू की मानें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह रोज झूठ बोलते हैं। सिद्धू के मुताबिक, मेरी दो मांगें हैं। पहली, मेरे राजनीतिक करियर का उद्देश्य इसके सिस्टम में बदलाव लाना है। एक सिस्टम जिसे पंजाब को नियंत्रित करने वाले दो ताकतवर परिवार हैंडल कर रहे हैं। ये दोनों परिवार सिर्फ अपने हितों का साधने के लिए विधायिका को बदनाम करते रहते हैं और राज्य के हितों की अनदेखी करते हैं। सिद्धू का आरोप है कि इन दोनों परिवारों ने सब कुछ नियंत्रित कर लिया है। ये दोनों परिवार एक-दूसरे को बचाते रहे हैं। सिद्धू का दावा है कि उनकी लड़ाई इसी सिस्टम के खिलाफ है। सिद्धू यह भी दावा कर चुके हैं कि राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने उनसे 60 बार मुलाकात की थी, जिसके बाद वह कांग्रेस ज्वाइन करने को राजी हुए थे।
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सिद्धू की दूसरी मांग किसानों से जुड़ी हैसिद्धू के मुुताबिक, उनकी दूसरी मांग किसानों से जुड़ी है। सिद्धू के अनुसार, कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्र सरकार के तीन नए कानूनों के खिलाफ कोरोना संक्रमण की वजह से किसानों को आंदोलन नहीं करने की अपील कर चुके हैं। सिद्धू का मानना है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। सिद्धू ने किसानों के समर्थन में अपने घर के बाहर काला झंडा लगा रखा है। इससे वह यह साबित करना चाहते हैं कि पंजाब में किसानों के वह बड़े हितैषी है और अमरिंदर सिंह किसानों की मांग को गंभीरता से नहीं ले रही है।
पंजाब में कांग्रेस नेताओं बीच आपसी तकरार को बढ़ता देख प्रियंका वाड्रा के बाद राहुल गांधी भी आगे आए हैं। उन्होंने कल यानी सोमवार को दिल्ली में अपने आवास पर पार्टी के असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात की थी। सूत्रों की मानें तो आज मंगलवार को भी वे नाराज नेताओं से मिलेंगे। इसके अलावा अमरिंदर सिंह भी आज दिल्ली पहुंच रहे हैं और वह पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे।