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एम.करुणानिधि को भारत रत्न देने की उठी मांग, राज्यसभा में डीएमके बोली- यही होगी श्रद्धांजलि

डीएमके प्रमुख एम.करुणानिधि की मौत के बाद पहले उनके अंतिम संस्कार की जगह को लेकर विवाद हुआ और अब एक नई मांग उठने लगी है।

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Chandra Prakash Chourasia

Aug 10, 2018

 Karunanidhi

एम.करुणानिधि को भारत रत्न देने की उठी मांग, राज्यसभा में डीएमके बोली- यही होगी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) प्रमुख एम.करुणानिधि की मौत के बाद उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की मांग उठ रही है। शुक्रवार को डीएमके ने कहा कि दिवंगत नेता और पितामह करुणानिधि भारत रत्न मिलना चाहिए। पार्टी ने कहा कि दिवंगत नेता के उत्कृष्ट और अनुकरणीय काम, जिसने इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है, को वास्तविक श्रद्धांजलि भारत रत्न के द्वारा ही दिया जा सकता है।

सात अगस्त को हुआ करुणानिधि का निधन

करुणानिधि का चेन्नई में सात अगस्त को निधन हो गया। पांच दशकों तक द्रमुक की अगुवाई करने वाले करुणानिधि अपने पांच कार्यकाल के दौरान 19 वर्षो तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वह लगभग दो वर्षो से सार्वजनिक जीवन से बाहर हो गए थे और उम्र संबंधी समस्या की वजह उनका अस्पताल आना-जाना लगा हुआ था। 28 जुलाई को उच्च रक्तचाप की वजह से उन्हें कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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राज्यसभा में उठी भारत रत्न की मांग

राज्यसभा में शून्य काल के दौरान मामले को उठाते हुए द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि करुणानिधि देश के बड़े नेता और द्रविड़ योद्धा थे। उन्होंने कहा कि वह 100 साल से केवल पांच वर्ष कम जीए, जिसमें से उन्होंने 80 वर्ष सार्वजनिक जीवन को दिए। वंचितों के कल्याण के लिए काम किया, पिछड़े और वंचित लोगों के लिए काम किया।

'बेजोड़' थे करुणानिधि: शिवा

शिवा ने कहा कि करुणानिधि बेहतरीन वक्ता, एक ऊर्जावान लेखक, एक दार्शनिक, मानवतावादी और नाटककार थे। वह एक अभिनेता भी थे और उन्होंने लगभग 80 फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी। उन्होंने कहा कि करुणानिधि 'बेजोड़' थे और उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी।

डीएमके बोली- भारत रत्न होगी श्रद्धांजलि

डीएमके सांसद ने कहा कि उनके जीवन को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह एक निष्ठावान और बिना थके काम करने वाले योद्धा थे। वह सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, राज्य स्वायत्तता और आत्मसम्मान के लिए अपनी अंतिम सांस तक लड़ते रहे। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाए, जोकि उनके उत्कृष्ट और अनुकरणीय काम, जिसने इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है, को वास्तविक श्रद्धांजलि होगी।