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जम्‍मू और कश्‍मीर: पीडीपी में टूट की आशंका, महबूबा से खफा हैं पार्टी के वरिष्‍ठ नेता

पीडीपी के नेता भाजपा को प्रदेश की सत्‍ता तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।

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Dhirendra Kumar Mishra

Jul 03, 2018

mehbooba

जम्‍मू और कश्‍मीर: पीडीपी में टूट की आशंका, महबूबा से खफा हैं पार्टी के वरिष्‍ठ नेता

नई दिल्‍ली। जम्‍मू और कश्‍मीर में नए सिरे से सरकार गठन की संभावनाओं को विराम नहीं लगा है। पार्टी में फूट की डर से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती सोनिया गांधी से मिलने के लिए दिल्‍ली में डेरा डाली हुई हैं। दूसरी तरफ चर्चा ये भी है कि पीडीपी के नाराज नेता भाजपा का साथ दे सकते हैं। अंदरखाते भाजपा नेताओं की पीडीपी के विधायकों से बातचीत जारी है। इस बात की चर्चा तेज होने के बाद से महबूबा परेशान चल रही हैं।

सरकार बनाने की कवायद तेज
वह पीडीपी को टूट से बचाने के लिए सरकार बनाने कवायद नए सिरे से शुरू कर चुकी हैं। दो दिनों से महबूबा सोनिया गांधी से मिलने के लिए दिल्‍ली में डेरा डाली हुई हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में बहुत कम संभावना है कि वो दोबारा से सत्‍ता में वापसी कर पाएं। ऐसा इसलिए कि नेशनल कांफ्रेंस ने साफ कर दिया है कि वो पीडीपी का साथ नहीं दे सकते। ऐसे में अगर कांग्रेस महबूबा को साथ दे भी दे तो दोबारा से सत्‍ता में वापसी मुश्किल है।

अमरनाथ यात्रा के बाद बड़ा ऐलान संभव
इस बीच खबर है कि भाजपा राज्य में वापसी के लिए अमरनाथ यात्रा के बाद कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। जानकारी के मुताबिक पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे पीडीपी के कई नेता बगावत कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। फिलहाल अमरनाथ यात्रा के पूरे होने का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पीडीपी के कई नेता बीजेपी में आना चाहते हैं। इसके लिए अंदर ही अंदर गुणा-भाग का खेल भी चल रहा है। सूत्रों का दावा है कि जनवरी 2016 में जब मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत हुई और महबूबा मुफ्ती ने पार्टी की कमान संभाली, तब पीडीपी के दो सीनियर नेताओं ने बीजेपी के सामने साफ किया था कि वो पार्टी से 'ब्रेकअप' करना चाहते हैं1 तब बीजेपी ने इसपर कोई खास प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं समझा था। मौजूदा हालात में माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में दोबारा वापसी करने के लिए भाजपा इस मौके को जरूर भुनाना चाहेगी।

कोई नहीं चाहता चुनाव
भाजपा-पीडीपी सरकार में मंत्री रह चुके भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता का कहना है कि कोई भी यह नहीं चाहता कि दोबारा से चुनाव हो, तीन साल तक सरकार में रहने के बाद कोई सत्ता से बाहर भी नहीं रहना चाहता। इसलिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। पीडीपी के साथ तीन साल का गठबंधन खत्म होने के बाद से ही भाजपा की की तरफ से फिर से सरकार बनाने की अफवाहें आ रही थीं।

माधव ने की सज्‍जाद लोन के साथ बैठक
इन अफवाहों को तब बल मिला, जब जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी और 2014 में ऐतिहासिक गठबंधन के सूत्रधार राम माधव को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के संस्थापक सज्जाद लोन के निवास पर कुछ भाजपा विधायकों के साथ देखा गया। तब ऐसी चर्चा थी कि सज्जाद लोन के आवास पर ये बैठक बागी नेताओं के साथ साठगांठ पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। यह बैठक पीडीपी से समर्थन वापस लेने के महज 10 दिन बाद हुई थी। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिज्ञ होने के नाते सज्जाद लोन का मानना था कि नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जो जम्मू-कश्मीर का भाग्य बदल सकते हैं। चुनाव से पहले मोदी को यहां बड़ा भाई माना जाता था। सज्जाद लोन तब से लगातार राम माधव के संपर्क में हैं। उनकी पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने चुनाव में 2 सीटें जीती थीं। चुनाव के बाद राम माधव ने भाजपा नेताओं के साथ सज्जाद लोन की एक तस्वीर भी टि्वटर पर शेयर किया था।

एनएन वोहरा से मिले राम माधव
इस बीच नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से बार बार विधानसभा मांग करने के बाद भी राज्यपाल ने अभी तक ऐसे संकेत नहीं दिए हैं। इस बीच 27 जून को श्रीनगर दौरे पर रहे राम माधव ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी। मीडिया से बातचीत में भाजपा के एक नेता ने बताया कि हां हमने सरकार बनाने पर चर्चा की है. मैदान खाली है। हर कोई सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रहा है। हम भी कर रहे हैं। अमरनाथ यात्रा के बाद आगे कोई फैसला लिया जाएगा।

बहुमत के लिए मैजिम नंबर 44
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 89 सीटें हैं। ऐसे में कोई भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत है। भाजपा के पास 25 सीटें हैं। पीडीपी के पास 28, कांग्रेस के पास 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें हैं।