पीएम मोदी ने 22 साल पहले का दिन याद करते हुए बताई हिंदुस्तान की ताकत, वाजपेयी के नेतृत्व को किया सलाम इस संबंध में रायपुर के पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख ने कहा कि हमने पाढ़ी की शिकायत पर पात्रा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और मामले की जांच ( Police Investigation ) चल रही है। यह मुकदमा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने), 505 (2) (सार्वजनिक दुराचार के लिए बयानबाजी करने) और 298 के तहत दर्ज किया गया है।
पाढ़ी ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि अपने ट्वीट में पात्रा ने कश्मीर मुद्दे, 1984 के सिख विरोधी दंगों और बोफोर्स घोटाले के संबंध में नेहरू और राजीव गांधी के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं। दोनों पूर्व पीएम को भ्रष्टाचार या दंगों के किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया।
पाढ़ी ने शिकायत में लिखा, “इसके अलावा जब देश सबसे बड़ी चुनौतियों से गुजर रहा है, तो सोशल प्लेटफार्मों पर इस तरह की सामग्री को ट्वीट करने का कार्य ना केवल विभिन्न धार्मिक समूहों, समुदायों के बीच सद्भाव के रखरखाव के खिलाफ है, बल्कि इससे सार्वजनिक शांति भंग होने की भी संभावना है।” पाढ़ी ने दावा किया कि ट्वीट धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से किए गए थे।
लॉकडाउन के बाद की तैयारी में जुटा प्रदेश, बना रहा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ परिवहन की रणनीति एफआईआर में कहा गया है कि इस बात की भी संभावना है कि ट्वीट से सिख समुदाय में डर पैदा हो सकता है। साथ ही यह समुदाय के किसी भी व्यक्ति को राज्य के खिलाफ या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध के लिए उकसा सकता है।
उन्होंने अपनी प्राथमिकी में पात्रा पर पूर्व पीएम के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जो किसी भी वर्ग या समुदाय के व्यक्ति को किसी भी अन्य वर्ग या समुदाय के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसा सकता है।