scriptNational Technology Day: पीएम मोदी ने वाजपेयी के नेतृत्व और पोखरण परीक्षण की महत्ता बताई | PM Modi remembers Pokharan Test and AB Vajpayee leadership on National Technology Day | Patrika News

National Technology Day: पीएम मोदी ने वाजपेयी के नेतृत्व और पोखरण परीक्षण की महत्ता बताई

locationनई दिल्लीPublished: May 11, 2020 03:00:04 pm

11 मई 1998 को तत्कालीन पीएम वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) के नेतृत्व में हुआ था पोखरण परीक्षण।
उस दिन की याद में हर साल भारत में नेशनल टेक्नोलॉजी डे ( National Technology Day ) का होता है आयोजन।
दूसरों के जीवन में बदलाव के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वालों को Prime Minister Narendra Modi का सलाम।

PM Modi Remembers Vajpayee and Pokharan Test

PM Modi Remembers Vajpayee and Pokharan Test

नई दिल्ली। भारत सोमवार को 11 मई 1998 की याद में हर वर्ष मनाए जाने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ( National Technology Day ) को आयोजित कर रहा है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) ने उन सभी को सलाम किया जो दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठा रहे हैं।
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इस दौरान पीएम मोदी ने अपने ट्विटर पर राजस्थान के पोखरण में भारत के परमाणु परीक्षण का जिक्र करते हुए लिखा, “राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर हमारा राष्ट्र उन सभी को सलाम करता है जो दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहे हैं। हम 1998 में इस दिन अपने वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धि को याद करते हैं। यह भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था।”
वहीं, अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “1998 में पोखरण में हुए परीक्षणों ने भी बदलाव को दिखाया जो एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व कर सकता है।”

https://twitter.com/hashtag/MannKiBaat?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
11 मई, 1998 भारत के इतिहास में वह महत्वपूर्ण दिन है जब देश ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) के नेतृत्व में पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था। इन भूमिगत परीक्षणों ने दुनिया के परमाणु मंच पर देश का नाम उभारा और इस रणनीतिक कार्यक्रम की कुछ प्रभावशाली घटनाओं के लिए विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर देश को परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकारने पर मजबूर किया।
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पहले तीन विस्फोट 11 मई को अपराह्न 3.45 बजे एक साथ हुए थे। इनमें एक 45 kT थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस, एक 15kt विखंडन यंत्र और एक 0.2 kt उप-किलोटन (जो एक किलोटन से कम है) उपकरण शामिल थे। 13 मई को एक साथ विस्फोट किए गए दो परमाणु उपकरण 0.5 kT और 0.3 kT सब-किलोटन रेंज में थे।
यह परीक्षण तब हुआ जब विदेश सचिव के रघुनाथ ने अपने अमरीकी समकक्ष से कहा कि भारत का परमाणु उपकरण के परीक्षण का कोई इरादा नहीं है। इस परीक्षण ने भारत के लिए मुसीबतों के दरवाजे खोल दिए थे, जिनमें प्रतिबंध, आर्थिक और सैन्य और पारस्परिक अलगाव शामिल था।
https://twitter.com/narendramodi/status/1259670710869348352?ref_src=twsrc%5Etfw
इसके बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्र सचिव स्ट्रोब टैलबोट और तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बीच सात देशों, 10 शहरों में 14 दौर की वार्ता भी हुई। अमरीकियों और पश्चिम के लिए, भारत परमाणु क्लब में प्रवेश कर चुका था। परमाणु समानता की मांग करने वाले पाकिस्तान को लेकर अमरीकियों ने आशंका जताई थी कि दक्षिण एशिया न्यूक्लियर फ्लैशप्वाइंट बन जाएगा। हालांकि टैलबोट और सिंह की बातचीत ने इन सभी चिंताओं को दरकिनार किया।
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उस वक्त तत्काल चुनौती अंतरराष्ट्रीय विरोध को कम करने के साथ ही अमरीका के बीच पैदा हुई भरोसे की खाई को पाटना था। लेकिन बाद के वर्षों में भारत ने सफलतापूर्वक सब कुछ प्रबंधित किया और इसका परमाणु कार्यक्रम काफी परिपक्व भी हुआ।
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