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एक मीडिया हाउस से बात करते हुए पूर्व आईपीएस ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के अनुसार काम नहीं करने का ही नतीजा है कि उनको राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की फटकार झेलनी पड़ी। जिसके बाद उनको अलग-थलग करने का प्रयास किया। आपको बता दें कि भारती घोष पर जबरन वसूली का आरोप लगा था, जिसके बाद सीआईडी ने उनके खिलाफ छापेमारी की थी। इन आरोपों के चलते भारती ने आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया था। भारती ने कहा कि वो मिदनापुर में तैनाथ थीं और वहां भाजपा के बढ़ते जनाधार के चलते उनको दरकिनार कर दिया गया। राज्य की सीएम ममता बनर्जी को भाजपा के पक्ष में माहौल लगता है तो वह अधिकारियों के ट्रांसफर शुरू कर देती हैं।
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पूर्व आईपीएस का आरोप है कि उन्होंने मिदनापुर में निष्पक्ष और शांपिपूर्ण चुनाव संपन्न कराया था, जिसके कारण तृणमूल उनसे नाराज हो गई। भारती ने कहा कि पार्टी आलाकमान से उन पर सियासी आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके खिलाफ जबरन वसूली का केस लगा दिया गया।