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अगर नहीं जीते ये दल तो संसद से हो जाएंगे बाहर और खतरे में पड़ जाएंगी मान्‍यता

locationनई दिल्लीPublished: May 23, 2019 11:28:07 am

भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की मान्‍यता खतरे में
सात राजनीतिक दलों के पास नहीं है जीत के सिवाय और कोई विकल्‍प
इन दलों के केलव एक-एक उम्‍मीदवार ही लोकसभा तक पहुंचने में हुए थे कामयाब

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अगर नहीं जीते ये दल तो संसद से हो जाएंगे बाहर और खतरे में पड़ जाएंगी मान्‍यता

नई दिल्‍ली। लोकसभा की 542 सीटों पर मतदान के बाद गुरुवार सुबह से मतगणना जारी है। इस बार 2,293 पार्टियों के 8,040 प्रत्‍याशी चुनावी मैदान में हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि सात राजनीतिक दल ऐसे हैं जिनके केवल एक-एक प्रत्‍याशी 2014 में जीत हासिल कर संसद तक पहुंचने में कामयाब हुए थे। यही वजह है कि इस बार इन दलों के पास हर हाल में जीत हासिल करने की चुनौती हैं। अगर ये दल चुनाव नहीं जीते तो संसद से तो बाहर हो ही जाएंगे इनकी मान्‍यता भी खतरे में पड़ सकती है। ताज्‍जुब की बात ये है कि देश की सबसे पुरानी वामपंथी पार्टी भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी भी पहचान के संकट के भंवर में फंसी हुई है। आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसी कौन सी पार्टियां हैं जो इस संकट के दौर से गुजर रही हैं।
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1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

रतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की स्थापना 26 दिसंबर,1925 को कानपुर नगर में हुई थी। इस पार्टी की स्थापना एमएन राय ने की थी। वर्तमान में इस दल के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी हैं। यह भारत की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है। 2004 के संसदीय चुनाव में भाकपा को 1.4 फीसदी मत और 10 संसदीय सीटों पर जीत मिली थी। 2009 के संसदीय चुनाव में मात्र 4 और 2014 के संसदीय चुनाव में भाकपा के केवल एक प्रत्‍याशी को जीत मिली थी।
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2. रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी

रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की स्थापना 19 मार्च, 1940 को हुई थी। इसका इतिहास बंगाली मुक्ति आंदोलन, अनुशीलन समिति और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ी है। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को लगभग 0.4 फीसदी वोट और 3 सीटें मिली थी। यह वाम मोर्चा त्रिपुरा का हिस्सा है। पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार सीट पर रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने 1977 से लेकर 2014 तक लगातार जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में इस सीट से टीएमसी के दसरथ तिर्की ने चुनाव जीता। टीएमसी की तरफ से दसरथ तिर्की एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने जॉन बारला और कांग्रेस ने मोहनलाल बासुमाता को प्रत्‍याशी बनाया है। मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच में है लेकिन रिवॉल्यूशनरी पार्टी के उम्‍मीदवार ओरान भी टक्कर दे सकते हैं। इस बार अलीपुरद्वार सीट आरएसपी की आखिरी उम्मीद है।
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3. केरल कांग्रेस एम

केरल कांग्रेस (एम) एक राज्य स्तरीय राजनीतिक पार्टी है। 1979 में केरल कांग्रेस से अलग होकर यह अस्तित्‍व में आई थी। इसके नेता और अध्यक्ष केएम मणि हैं। जुलाई 2018 तक पार्टी के पास केरल विधानसभा में 8 विधानसभा सदस्य और संसद में एक सदस्य केएम मणि (राज्यसभा) के सदय थे। पार्टी संयुक्त डेमोक्रेटिक फ्रंट (केरल) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (राष्ट्रीय रूप से) के साथ गठबंधन में है। इस बार पार्टी को एकमात्र प्रत्‍याशी थॉमस चाजीकदन कोट्टायम से चुनाव लड़ रहे हैं।
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4. स्वाभिमानी पक्ष

स्वाभिमानी पक्ष महाराष्ट्र का एक राजनीतिक दल है। यह स्वाभिमानी कृषक संगठन की राजनीतिक इकाई है। इसका गठन राजू शेट्टी ने किया था। 2004 में शरद जोशी के नेतृत्व में शेखारी संगठन के राजू शेट्टी शिरोल विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। 2009 में 15वीं लोकसभा में हाटकांगल निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने के बाद पार्टी को एक सीट पर चुनावी जीत मिली थी।
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5. पट्टाली मक्‍कल काच्‍ची

पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) तमिलनाडु की एक राजनीतिक पार्टी है। एस रामदास ने 1989 में की स्‍थापना की थी। पीएमके ने 2014 में लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर लड़ा। 2014 में पार्टी के अंबुमणि रामदास धर्मपुरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल करने में सफल हुए थे। इस बार भी पीएमके एनडीए गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है।

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6. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट की स्थापना पवन कुमार चामलिंग ने 1993 में की थी। 1994 के बाद से यह दल चामलिंग के नेतृत्व में सिक्किम में निरंतर सत्ता में है। 1999 और 2004 के विधानसभा चुनावों में मिली व्यापक सफलता के साथ इस पार्टी ने अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। सिक्किम की एकमात्र लोकसभा की सीट भी पार्टी ने पास है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रेमदास राय ने अपने प्रतिद्वंदी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के टेकनाथ ढकाल को 41 हजार 742 वोटों से शिकस्त दी थी। इस बार भी प्रेमदास एसडीएफ के प्रत्‍याशी हैं।
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7. ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस

ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस की स्थापना 2011 में पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी ने की थी। वर्तमान में यह पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव 2014 में पुड्डुचेरी निर्वाचन क्षेत्र से AINRC के प्रत्‍याशी आर राधाकृष्‍णनन को जीत हासिल की थी। इस बार भी एआईएनआरसी एनडीए का हिस्‍सा है और चुनावी मैदान में है।

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