6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्राचीन भारतीय न्याय प्रणाली लागू होती, तो इतने प्रकरण लंबित नहीं होते

विक्रम विवि के कुलपति डॉ. अखिलेश पांडेय ने दो दिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन कहा

2 min read
Google source verification

रतलाम

image

Kamal Singh

Jul 21, 2024

patrika

seminar

रतलाम. देश में 1 जुलाई से लागू नए कानूनों पर डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन के सत्र को संबोधित करते हुए विक्रम विवि के कुलपति डॉ. अखिलेश पांडे ने कहा कि भारत का न्यायिक इतिहास स्वर्णिम रहा है। देश में यदि प्राचीन भारतीय न्याय प्रणाली लागू होती, तो आज इतने प्रकरण लंबित नहीं रहते। कानूनों के बदलाव के साथ जो नई शब्दावली आई है, वे सबको अपने इतिहास पर सोचने को विवश करेगी।


कुलपति डॉ. पांडे के मुख्य आतिथ्य में रविवार की शाम सेमिनार का समापन हो गया। इस दौरान सेवानिवृत्त प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके चौबे, वीके निगम, महाविद्यालय ट्रस्ट के उपाध्यक्ष निर्मल कटारिया, कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल और प्राचार्य डॉ. अनुराधा तिवारी मंचासीन रहे। समापन सत्र की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। अतिथियों का स्वागत सचिव डॉ. संजय वाते, ट्रस्टी निर्मल लुनिया, कैलाश व्यास, सुभाष जैन, प्राचार्य डॉ. तिवारी, डॉ. जितेन्द्र शर्मा, वर्षा शर्मा, पंकज परसाई विजय मुवेल और प्रतीक आदि ने किया। स्वागत भाषण ट्रस्ट उपाध्यक्ष कटारिया ने व अतिथि परिचय कोषाध्यक्ष अग्रवाल ने दिया।

विधि की शिक्षा भी तकनीकी प्रधान होनी चाहिए


मुख्य अतिथि डॉ. पांडे ने नए कानूनों के परिप्रेक्ष्य में समन्वित शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि तकनीकों के युग में अपराध और अपराधी के तरीके बदल रहे है, इसलिए विधि की शिक्षा भी तकनीकी प्रधान होनी चाहिए। इसके लिए बार कौंसिल को सुझावे भेजे जाने चाहिए। बहुउददेशीय शिक्षा होगी, तभी त्वरित और सुलभ न्याय की कल्पना पूरी होगी। महाभारत में अभिमन्यु ने जैसे गर्भ में ही बहुत कुछ सीखा था, वैसे ही आज के बच्चों पर गर्भावस्था के दौरान माता के आचरण का बहुत असर हो रहा है। कानूनों के बदलाव के साथ आज कानून के क्रियान्वयन के लिए बहुउददेशीय कार्य करने की जरूरत है। स्वामी विवेकानंदजी ने वर्ष 2047 में भारत को विकसित देश के रूप में देखने के लिए अपनी विरासत समझने और विरासत पर गर्व करने का संदेश दिया था। भारत की न्याय प्रणाली ऐसी ही गर्व करने जैसी थी। नए कानून उसी से प्रेरित होकर बनाए गए हैं। समापन सत्र में हिरेन्द्र प्रताप सिंह ने सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संचालन प्राध्यापक मीनाशी बारलो ने किया। आभार प्राचार्य डॉ. तिवारी ने माना।