scriptजम्‍मू-कश्मीर: शांति बहाली पहली प्राथमिकता, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की तत्‍काल रिहाई मुश्किल | J-K: Restoration peace first priority Omar Mehbooba release difficult | Patrika News

जम्‍मू-कश्मीर: शांति बहाली पहली प्राथमिकता, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की तत्‍काल रिहाई मुश्किल

locationनई दिल्लीPublished: Oct 18, 2019 11:02:22 am

Submitted by:

Dhirendra

शांति से समझौता संभव नहीं
नेताओं को समझना होगा कि धारा 370 समाप्‍त हो गया है
घाटी के नेताओं को भरोसे में लेना चाहती है सरकार

omar1_and_mufti2.jpg
नई दिल्‍ली। जम्‍मू-कश्‍मीर में धारा 370 को केंद्र सरकार ने कानून बनाकर 43 दिन पहले समाप्‍त घोषित कर दिया था। उसके बाद से अभी तक सरकार की प्राथमिकता सूची में शांति बहाली सबसे ऊपर है। सरकार कानून व्‍यवस्‍था से किसी भी कीमत पर समझौतावादी रुख अख्तियार करने के मूड में नहीं है। इसलिए कश्मीर में नजरबंद महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सहित तमाम नेताओं की रिहाई तत्‍काल होना मुश्किल है।
शपथ पत्र देने के तैयार नहीं हैं प्रमुख नेता

प्रमुख नेताओं की रिहाई के लिए सरकार की ओर से शर्त यह है कि जो नेता नजरबंदी से मुक्ति चाहते हैं उन्‍हें एक शपथ पत्र पर हस्‍ताक्षर करने होंगे। इसके बिना रिहाई मुश्किल है। शपथ पत्र के पीछे सरकारी एजेंसियों का मकसद यह है कि रिहाई के बाद नजरबंद नेता घाटी में अशांति को बढ़ावा नहीं देंगे। इस मुद्दे पर नेताओं से सहयोग पाने के लिए विभिन्न स्रोतों से संपर्क किया गया है। उनकी नजदीकी रिश्तेदारों और नेताओं से मेल मुलाकात का सिलसिला चल रहा है।
अमन चैन का माहौल

दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियों से मिले फीडबैक के आधार पर केंद्र सरकार ने तय किया है कि सुरक्षा से किसी भी हालत में समझौता नहीं किया जाएगा। खुफिया रिपोर्ट में जताई गई आशंकाओं की वजह से अभी इन नेताओं की रिहाई में देरी हो सकती है। सुरक्षा बल और सरकारी एजेंसियों के सहयोग की वजह से कश्मीर में ज्यादातर हिस्सों में अमन चैन का माहौल है।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हिरासत में रखे गए लोगों की क्रमिक रूप से रिहाई होगी। लेकिन सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट और शांति कायम रखने की शर्त से कोई समझौता नही होगा। लोगों को भड़काने के बजाय नेताओं को समझना होगा कि धारा अनुच्छेद अतीत हो चुका है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो