शपथ पत्र देने के तैयार नहीं हैं प्रमुख नेता प्रमुख नेताओं की रिहाई के लिए सरकार की ओर से शर्त यह है कि जो नेता नजरबंदी से मुक्ति चाहते हैं उन्हें एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे। इसके बिना रिहाई मुश्किल है। शपथ पत्र के पीछे सरकारी एजेंसियों का मकसद यह है कि रिहाई के बाद नजरबंद नेता घाटी में अशांति को बढ़ावा नहीं देंगे। इस मुद्दे पर नेताओं से सहयोग पाने के लिए विभिन्न स्रोतों से संपर्क किया गया है। उनकी नजदीकी रिश्तेदारों और नेताओं से मेल मुलाकात का सिलसिला चल रहा है।
अमन चैन का माहौल दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियों से मिले फीडबैक के आधार पर केंद्र सरकार ने तय किया है कि सुरक्षा से किसी भी हालत में समझौता नहीं किया जाएगा। खुफिया रिपोर्ट में जताई गई आशंकाओं की वजह से अभी इन नेताओं की रिहाई में देरी हो सकती है। सुरक्षा बल और सरकारी एजेंसियों के सहयोग की वजह से कश्मीर में ज्यादातर हिस्सों में अमन चैन का माहौल है।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हिरासत में रखे गए लोगों की क्रमिक रूप से रिहाई होगी। लेकिन सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट और शांति कायम रखने की शर्त से कोई समझौता नही होगा। लोगों को भड़काने के बजाय नेताओं को समझना होगा कि धारा अनुच्छेद अतीत हो चुका है।