आजम खान—
उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से चुनाव लड़े रहे सपा के दिग्गज नेता आजम खान यूं तो अपने बयानों और भाषणों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान वह पूरे समय सुर्खियों में छाए रहे। इस बार उनके सुर्खियों में रहने की मुख्य वजह उनका जयाप्रदा को लेकर दिया बयान रहा। दरअसल, आजम खान ने अपने बयान के दौरान जयाप्रदा के कपड़ों को लेकर आपत्तिजनक बयान दे दिया, जिसके बाद यह मुद्दा देश भर में छाया रहा। आपको बता दें कि अभिनेत्री जयाप्रदा रामपुर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
मेनका गांधी—
उत्तर प्रदेश की ही सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ रही मेनका गांधी अपने बयानों को लेकर काफी विवादों में रहीं। उनके विवादों में रहने का असल कारण उनका मुस्लिमों को लेकर दिया बयान रहा। दरअसल, एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि अगर उनकी जीत में मुस्लिमों की भागीदारी नहीं रहती तो वो उनका काम कराने से पहले सौ बार सोचेंगी।
प्रियंका गांधी—
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी ऐसे बयान देने से पीछे नहीं रही। उन्होंने हरियाणा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना दुर्योधन से कर डाली। दरअसल, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को घमंडी बताते हुए उनका अंजाम दुर्योधन की तरह होना बताया।
राबड़ी देवी—
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी कर डाली। यहां तक कि उन्होंने पीएम मोदी जल्लाद तक बता डाला। दरअसल, पटना में प्रेस कॉंफ्रेंस कर रही राबड़ी देवी से पीएम मोदी पर प्रियंका गांधी की टिप्पणी को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने मर्यादा की सारी हदें पार कर दी। राबड़ी देवी ने प्रधानमंत्री को जल्लाद बता डाला। उन्होंने कहा कि जो जजों और पत्रकारों की हत्या करवा दे उसे जल्लाद ही कहा जा सकता है। यही नहीं उन्होंने भाजपा और जेडीयू के नेताओं को भी गंदी नाली का कीड़ा बता दिया।
योगी आदित्यनाथ—
ऐसे नेताओं की फेहरिस्त में अगला नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आता है। योगी आदित्यनाथ भी अपने मुस्लिमों को लेकर दिए गए बयान को लेकर काफी सुर्खियों में रहे। दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनको पास अली हैं तो हमारे पास बजरंगबली हैं। असल में ऐसा कहकर उन्होंने चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया था। इसके लिए उनको चुनाव आयोग की सजा भी काटनी पड़ी थी।