
नई दिल्ली। लोकतंत्र के महापर्व यानी लोकसभा चुनाव 2019 शुरू हो चुका है। सात चरणों में होने वाले इस चुनाव में दो चरणों का मतदान भी संपन्न हो चुका है। हर किसी को जल्द से जल्द चुनाव परिणाम का इंतजार है, भले ही वो आगामी 23 मई को आने वाले हों। मतदाता जानना चाहते हैं कि इस बार फिर से मोदी सरकार आती है या विपक्षी दल भाजपा को धूल चटाकर सत्ता परिवर्तन कर देते हैं। हालांकि, इनसे पहले इस चुनाव में उन सीटों पर नजर रखना बहुत जरूरी है, जहां कांटे का मुकाबला होना है। जानिए कौन सी हैं यह 7 सीटें:
उत्तर प्रदेश की सियासत में विवादित बयान देकर ऊबाल लाने वाले आजम खान और समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल हुईं जयाप्रदा के रामपुर लोकसभा क्षेत्र में आमने-सामने आने पर यह हॉट सीट बन चुकी है। कभी आजम और जयाप्रदा दोनों एक ही पार्टी में थे, लेकिन अब एक-दूसरे के सामने हैं।
जयाप्रदा को अपने खिलाफ लड़ते देख आजम खान पिछले दिनों आगबबूले भी हो गए थे और "खाकी अंडरवियर" की टिप्पणी करने के बाद फंस गए थे। इस बयान पर आजम को देशभर का विरोध झेलना पड़ा और चुनाव आयोग को जब सही स्पष्टीकरण नहीं मिला, तो आयोग ने आजम खान पर मंगलवार सुबह से 72 घंटे के लिए प्रचार पर पाबंदी लगा दी थी। जाहिर है यह सीट हर आम-ओ-खास की नजर में है और यहां पर मुकाबला भी दिलचस्प होगा।
2- भोपाल लोकसभाः साध्वी प्रज्ञा बनाम दिग्विजय सिंह
वर्ष 2008 मालेगांव धमाका मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। जमानत पर बाहर साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी यों तो काफी विवादित मानी जा रही है, लेकिन दिग्वियज भी कम विवादित बयान नहीं देते।
भोपाल में कुर्सी का किस्सा क्या गुल खिलाएगा, यह तो आने वाली 23 मई ही बताएगी, लेकिन इस सीट पर मुकाबला तो दिलचस्प है, इसमें कोई गुरेज नहीं। वहीं, भोपाल के मौजूदा भाजपा सांसद अलोक संजार का कहना है कि पार्टी साध्वी प्रज्ञा के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है और इस सीट से उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरे प्रयास करेगी।
3- अमेठी लोकसभाः राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी
इस सीट की दिलचस्प बात यह है कि भाजपा 1998 के बाद से इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है। उस वक्त कांग्रेस के सतीश शर्मा को शिकस्त देकर संजय सिंह ने भाजपा की जीत पक्की की थी। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनौती देने के लिए मैदान में आईं स्मृति ईरानी इस बार फिर से मैदान पर हैं।
इस सीट का मुकाबला इस बार इसलिए और दिलचस्प हो जाता है क्योंकि अमेठी में पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद
से लेकर अब तक पांच साल में स्मृति ईरानी यहां पर कड़ी मेहनत कर रही हैं। वह यहां पर जनता के बीच रहना जारी रखे हुए हैं और इस बात जीतने की अच्छी संभावना भी है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो शायद इसी डर के चलते राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से पर्चा भर चुके हैं।
इस सीट पर एक बात और है कि यहां पर बीते दो लोकसभा चुनाव मेें जीत का अंतर भी कम होता रहा है। जहां 2009 में कांग्रेस के राहुल गांधी की जीत का अंतर 3.70 लाख वोटों से ज्यादा था, 2014 में यह घट कर 1.07 लाख वोट ही रह गया।
4- लखनऊ लोकसभाः राजनाथ सिंह बनाम पूनम सिन्हा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सियासी मैदान में इस बार जहां एक ओर मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी उम्मीदवारी पेश की है, तो दूसरी तरफ उन्हें टक्कर देने के लिए भाजपा के पूर्व सांसद और मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन ने पूनम को लखनऊ से अपना उम्मीदवार बनाया है।
लखनऊ सीट की खास बात यह है कि वर्ष 1991 से यह भाजपा के ही खाते में रही है। यहीं से भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी जीतते रहे हैं। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने भी यहीं से जीत हासिल की थी। राजनाथ को चुनौती देने वालीं पूनम सिन्हा ने बीते 16 अप्रैल को ही समाजवादी पार्टी जॉइन की है। यह राजनीति के गलियारे में पूनम की पहली एंट्री है। अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा के 'शत्रु' की यह राजनीतिक चाल कहां तक कामयाब होती है।
5- बेगुसराय लोकसभाः गिरिराज सिंह बनाम कन्हैया कुमार
वर्ष 2016 में सुर्खियों में आए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ऊपर देशद्रोह से लेकर अन्य कई आरोप हैं। जेएनयू परिसर में कथितरूप से भारत विरोधी कार्यक्रम आयोजित करने केे लिए उन्हें काफई विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन तब से अब तक उन्होंने जो हासिल किया वो है पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के विरोध में मुखर रहने वाले एक युवक की राष्ट्रीय छवि।
इस लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार बेगुसराय सीट से खड़े हुए हैं। वह कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी सीपीआई के उम्मीदवार हैं। इस सीट की दिलचस्प बात है कि वह यहां पर भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के तनवीर हसन को चुनौती दे रहे हैं। इस सीट पर तीन अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों का मैदान में खड़ा होना, यहां के मतदाताओं को काफी व्यापक चयन विकल्प भी दे रहा है।
6- उत्तर मुंबई लोकसभाः उर्मिला मातोंडकर बनाम गोपाल शेट्टी
अपनी अदाओं से लाखों दिलों पर राज करने वाली बॉलीवुड अदाकारा उर्मिला मातोंडकर ने बीते मार्च में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी। कांग्रेस ने उर्मिला को मुंबई उत्तर सीट से लोकसभा उम्मीदवार बनाया और उसके बाद से उर्मिला यहां पर जमकर प्रचार कर रही हैं। पहले इस लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा भी उम्मीदवार और सांसद रह चुके हैं।
भाजपा के प्रभुत्व वाली इस सीट से पांच बार उत्तर प्रदेश के मौजूदा राज्यपाल राम नाईक सांसद रह चुके हैं। जबकि 2004 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने यहां से गोविंदा को खड़ा किया और उन्होंने राम नाईक को शिकस्त दी थी। हालांकि बाद में 2014 में इस सीट पर भाजपा के गोपाल शेट्टी ने कब्जा कर लिया। इस बार देखने वाली बात होगी कि इस सीट पर बॉलीवुड का जादू (उर्मिला) चलती हैं या फिर राजनेता (गोपाल)।
7- पटना साहिब लोकसभाः शत्रुघ्न सिन्हा बनाम रविशंकर प्रसाद
इस बार के लोकसभा चुनाव की कुछ विशेषताएं भी हैं। जहां पिछले लोकसभा चुनाव में दो व्यक्ति एक ही पार्टी के थे, इस बार विरोधी खेमे में आ चुके हैं। इनमें भाजपा के 'शत्रु' यानी शत्रुघ्न सिन्हा हैं तो दूसरी ओर रविशंकर प्रसाद। शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा छोड़ने के बाद इस बार कांग्रेस पार्टी से बिहार की पटना साहिब से अपनी उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं।
वहीं, सिन्हा को टक्कर देने के लिए भाजपा ने वरिष्ठ वकील और राजनेता रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से खड़ा किया है। रविशंकर प्रसाद ने आजतक एक भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है और बतौर लोकसभा उम्मीदवार यह उनका पहला चुनाव है। सिन्हा और शंकर ने इस बार पटना साहिब की सीट पर मुकाबला कांटे का कर दिया है क्योंकि दोनों ही बिहार से हैं, दोनों की अच्छे वक्ता है और दोनों ही कायस्थ हैं।
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Updated on:
19 Apr 2019 03:25 pm
Published on:
19 Apr 2019 07:57 am
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