scriptलोकसभा चुनाव: आंध्र में TDP-YSR के बीच कांटे की टक्‍कर, जगन मोहन को मिल सकता है ‘यात्रा’ का लाभ | Loksabha elections: tough fight between TDP-YSR Andhra Jagan advantage | Patrika News

लोकसभा चुनाव: आंध्र में TDP-YSR के बीच कांटे की टक्‍कर, जगन मोहन को मिल सकता है ‘यात्रा’ का लाभ

locationनई दिल्लीPublished: Apr 10, 2019 01:27:19 pm

Submitted by:

Dhirendra

आंध्र की राजनीति में इस बार बदला-बदला सा है नजारा
जगन मोहन ने पदयात्रा कर नायडू की परेशानी बढ़ाई
राजशेखर रेड्डी ने शुरू की थी पदयात्रा राजनीति

jagan-naidu

लोकसभा चुनाव: आंध्र में TDP-YSR के बीच कांटे की टक्‍कर, जगन मोहन को मिल सकता है ‘यात्रा’ का लाभ

नई दिल्‍ली। गुरुवार को आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के लिए एक साथ वोट डाले जाएंगे। इस बार सत्‍ताधारी पार्टी टीडीपी और वाईएसआर-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्‍कर है। लेकिन जगन मोहन रेड्डी द्वारा महीनों से जारी पदयात्रा के कारण सियासी रुझान वाईएसआर-कांग्रेस के पक्ष में है। बता दें कि पिछले दो दशक के दौरान आंध्र का इतिहास पदयात्राओं का रहा है। जिस पार्टी का नेता प्रदेशव्‍यापी पदयात्रा करता है लोग उसी के हाथ में सत्‍ता की चाबी सौंप देते हैं।
‘अमेठी’ ऐसे बना कांग्रेस का सियासी गढ़, राहुल गांधी मार चुके हैं जीत की हैट्रिक

9 महीने में 38 सौ किलोमीटर की पदयात्रा

दरअसल, पिछले 9 महीने से वाईएसआर-कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी प्रदेशव्‍यापी यात्रा पर हैं। अभी तक वह 38 सौ किलोमीटर पदयात्रा कर चुके हैं। इस दौरान उन्‍होंने जन समस्‍याओं पर अपना ध्‍यान केंद्रित किया। साथ ही आंध्र को विशेष राज्‍य का दर्जा दिलाने के मुद्दे चंद्रबाबू नायडू सरकार को घेरने का काम किया। इससे जगन मोहन रेड्डी की लोकप्रियता के काफी इजाफा हुआ है। यही वजह है कि लोगों का रुझान वाईएसआर के पक्ष में दिखाई देता है।
सुप्रीम कोर्ट में लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई आज, क्‍या RJD सुप्रीमो को मिलेगी राहत?

दशकों पुराना है यात्रा का इतिहास

आंध्र में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए अस्तित्‍व का सवाल बन गया है। यहां के लोग बताते हैं कि आंध्र की राजनीति पदयात्रा से तय होती है। पिछले दो दशकों के दौरान चुनाव से पहले जो पदयात्रा करता है वही जीत हासिल करता है। 2003 में राजशेखर रेड्डी ने पैदल प्रदेश नापा और 2004 में उन्‍होंने सरकार बनाई। इसी तरह 2012 में चंद्रबाबू नायडू ने 117 दिन में 2000 किलोमीटर पदयात्रा की और 2014 में सरकार बनाने में कामयाब हुए। इस बार जगन मोहन रेड्डी 9 महीनों में 38 सौ किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस बार मतदाता वाईएसआर-कांग्रेस के हाथ में सत्‍ता की चाबी सौंप सकते हैं।
सियासी गणित

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू प्रभावशाली कम्मा जाति से हैं, जिसकी राज्य की आबादी में हिस्‍सेदारी महज 3 प्रतिशत हैं। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी जगन मोहन रेड्डी के सजातीयों की संख्‍या 9 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 16 फीसदी दलित, 23 फीसदी पिछड़े, 9 फीसदी मुस्लिम और 27 फीसदी है।
लोकसभा चुनाव: बिहार के 2 दलित नेताओं की प्रतिष्‍ठा दांव पर, रामविलास की ‘विरासत’…

रेड्डी बंधुओं का रहा है दबदबा

आंध्र की राजनीति में शुरू से ही रेड्डी नेताओं का वर्चस्व रहा है। 1982 में एनटी रामाराव के राजनीति में उदय के बाद कम्मा नेताओं का भी उभार हुआ और उन्होंने सत्ता पर कब्जा जमा लिया। कम्‍मा मतदाताओं के दम पर एनटी रामाराव के बाद उनके दामाद एन चंद्रबाबू नायडू आंध्र के मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में वो आंध्र के सीएम हैं। बता दें कि आंध्र प्रदेश में इस बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ हो रहा है। विधानसभा की कुल सीटें 175 और लोकसभा की 25 सीटें आंध्र के हिस्‍से में है ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो