
#MeToo: यौन शोषण के आरोपों में घिरे विदेश राज्य मंत्री के बारे में 10 अहम बातें
नई दिल्ली। मीटू में फंसे केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर आज सुबह नाइजीरिया से दिल्ली लौट आए। हवाई अड्डे पर उन्होंने पत्रकारों को मीटू के सवालों का जवाब नहीं दिया। पत्रकारों की ओर से बार-बार सवाल दोहराने पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे बाद में बयान देंगे और फिर चलते बने। लेकिन मीटू अभियान में वे बुरी तरह से फंस चुके हैं। यही वजह है कि विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इसके पीछे खास वजह ये है कि वो मोदी सरकार में मंत्री हैं और दूसरी बात की उनके खिलाफ दस महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। ये सभी आरोप गंभीर हैं।
इसके अलावा कांग्रेस सहित अन्य विपक्षों दलों ने उनके इस्तीफे को लेकर मुहिम छेड़ दी है। अगर वो इस्तीफा नहीं देते हैं तो इससे मोदी सरकार की छवि को धक्का लग सकता है। तय है कि मीटू मामले में सबसे ज्यादा दबाव अकबर पर है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि अकबर को लेकर खास बातें क्या-क्या खबरों में है जो आप नहीं जानते हैं।
अकबर से जुड़ी अहम बातें:
1. #MeToo के तहत 10 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं।
2. 2014 में अकबर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। अब यौन शोषण के आरोपों में घिरे हैं। इससे पहले वो मीडिया में अहम पदों पर काम कर चुके हैं।
3. एमजे अकबर का जन्म 11 जनवरी, 1951 को हुआ था। उनका पूरा नाम मुबशर जावेद अकबर है। उनके दादा रहमतुल्ला धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बने थे। यानी अकबर के पूर्वज हिंदू थे। लेकिन उनकी शादी मुस्लिम महिला से हुई थी।
4. अकबर की शुरुआती शिक्षा कोलकाता बॉयज स्कूल में हुई, इसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई-लिखाई की।
5. 1989 में उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया से सियासत में कदम रखा और बिहार के किशनगंज से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते।
6. एमजे अकबर दुनिया के नामचीन पत्रकारों में शुमार रहे हैं। वह द टेलिग्राफ के संस्थापकों में शामिल रहे हैं। आज भले ही एमजे अकबर भाजपा में हों, लेकिन कभी कांग्रेस में उनकी अच्छी-खासी पैठ थी। खासकर राजीव गांधी से अच्छी नजदीकी थी और उनके प्रवक्ता भी थे।
6. राजीव गांधी से करीबी की वजह से एमजे अकबर का कांग्रेस में रुतबा था, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद वे पार्टी में असहज महसूस करने लगे और राजनीति छोड़ने का निर्णय ले लिया। 1992 में वे कांग्रेस छोड़कर वापस पत्रकारिता की दुनिया में लौट आए।
7. एमजे अकबर ने 90 के दशक में अंग्रेजी अखबार द एशियन एज की स्थापना की। यह दौर मंदिर-मस्जिद की राजनीति का था और कहा जाता है कि इसी दौर में एमजे अकबर की भाजपा के शीर्ष नेताओं से करीबी बढ़ी। 2004 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। कहा जाता है कि इसके बाद एमजे अकबर की स्थिति द एशियन एज में कमजोर हुई और उन्हें पद से हटना पड़ा।
8. द एशियन एज से हटने के बाद एमजे अकबर ने कुछ समय के लिए इंडिया टुडे में काम किया और द संडे गार्जियन नाम का अखबार भी शुरू किया। इस दौरान वह अपना अखबार निकालते रहे। इस दौर में उनकी भाजपा नेताओं से और नजदीकी बढ़ी। अकबर ने जवाहर लाल नेहरू की जीवनी द मेकिंग ऑफ इंडिया और द सीज विदिन, दि शेड ऑफ शोर्ड, ए कोहेसिव हिस्टरी ऑफ जिहाद जैसी किताबें भी लिखी हैं।
9. 2014 में अकबर नरेंद्र मोदी के करीब आए और एक बार फिर पत्रकारिता को अलविदा कह औपचारिक तौर पर राजनीति ज्वाइन कर ली। भाजपा में आने के बाद अकबर को पार्टी का प्रवक्ता बना दिया गया। कहा जाता है कि भाजपा के अंदर भी तमाम लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं।
10. भाजपा नेतृत्व ने उन्हें 5 जुलाई 2016 को मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। इससे पहले उन्हें झारखंड से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। इसके बाद दोबारा वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने। लेकिन #MeToo के तहत करीब 10 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं।
Updated on:
14 Oct 2018 02:39 pm
Published on:
14 Oct 2018 02:33 pm
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