1. एनडीए सरकार की रफाल डील यूपीए सरकार से 2.86 फीसदी सस्ती है। 2. कैग रिपोर्ट में रफाल लड़ाकू विमान का दाम नहीं बताया गया है। 3. फ्लाई अवे प्राइस (तैयार विमान) का दाम यूपीए सरकार की डील के बराबर है।
4. कैग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 36 रफाल विमानों के सौदे से पिछली डील 126 विमान का करीब 17.08 फीसदी पैसा बचा है। 5. 18 रफाल लड़ाकू विमान यूपीए सरकार के सौदे के मुकाबले 5 महीने पहले भारत में आ जाएंगे।
6. पीएम मोदी की रकार ने जो 9 फीसदी सस्ती डील का दावा किया था, वह CAG रिपोर्ट में सही नहीं निकला है। 7. रक्षा मंत्रालय को कई चरणों वाली इस डील को फाइनल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस डील का साइन करना रक्षा मंत्रालय के लिए आसान नहीं रहा।
8. यूपीए सरकार के दौरान हुए डील के मुताबिक रफाल विमान की डिलीवरी 72 महीने में होनी थी लेकिन इस डील में 71 महीने में ही डिलीवरी हो रही है। 9. सीसीएस के सामने सितंबर, 2016 में सोवरन गारंटी और लेटर ऑफ कम्फर्ट पेश की गई थी। इसके अन्तर्गत तय हुआ था कि लेटर ऑफ कम्फर्ट को फ्रांस के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा जाएगा।
10. रक्षा मंत्रालय की ओर से जनवरी, 2019 में बताया गया था कि नई डील में बेसिक प्राइस 9 फीसदी सस्ता है। ये 2007 में 126 विमान के लिए पेश ऑफर की तुलना में सस्ता था।