बिल पारित करवाना अहम चुनौती
हंगामे के बीच भाजपा की नजर आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा 2019 के चुनाव भी रहेगी। यही वजह है कि भाजपा की कोशिश रहेगी कुछ अहम बिलों को पारित करवाना। बीते बजट सत्र के हंगामेदार रहने की वजह से इस सत्र में विधेयकों का बोझ और बढ़ गया है। 18 कार्यदिवस वाले इस सत्र में 50 से ज्यादा विधेयक और 6 अध्यादेश लंबित हैं।
तीन तलाक और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा
भाजपा और सरकार की योजना इस सत्र में तीन तलाक और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले बिल को हर हाल में पारित कराने की है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सत्र की तारीखों का ऐलान करते वक्त कहा कि सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित समेत विधेयकों को लाने पर जोर दे सकती है। उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा में 68 और राज्यसभा में 40 बिल लंबित हैं। सबसे अहम वो 6 अध्यादेश हैं जिन्हें पारित कराना सरकार की प्राथमिकता होगी।
जेटली के साथ रणनीति पर चर्चा
शाह किडनी ट्रांसप्लांट के बाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे जेटली से रेल मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में उनके निवास पर मिले। करीब डेढ़ घंटे चली बैठक में सत्र के दौरान विपक्षी हमले से निपटने के साथ खास तौर पर उपसभापति पद के चुनाव पर चर्चा हुई। विपक्ष को पटखनी देने के लिए भाजपा इस पद का प्रस्ताव अकाली दल या टीडीपी को भी दे सकती है। गौरतलब है कि राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने और राजग का संख्या बल ज्यादा होने के बावजूद पार्टी बहुमत से बहुत दूर है।
स्पीकर ने मांगा सहयोग
पिछले सत्र की तरह इस बार का सत्र हंगामे की भेंट न चढ़े इसके लिए एक बार फिर सर्वदलीय बैठक बुलाई जा रही है। सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार ने जहां 17 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। वहीं लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सांसदों को पत्र लिख कर सहयोग मांगा है।
बैंकों से कर्जा लेकर विदेश भागने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या की वजह से भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई है। हालांकि इसके लिए सरकार ने भगोड़ा आपराधिक अध्यादेश 2018 को लेकर मंजूरी ले ली है। बीते लोकसभा सत्र में इस बिल को पेश किया गया लेकिन हंगामे के चलते इसे पारित नहीं करवाया जा सका। इस बार सरकार की कोशिश होगी कि इस बिल को किसी भी हाल में पारित करवाया जाए, ताकि जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाए।