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शरद पवार ने भी माना कांग्रेस के बिना गठबंधन संभव नहीं, जानिए क्या हैं इस बयान के मायने? क्यों है कांग्रेस जरूरी?

एनसीपी चीफ शरद पवार बोले- कांग्रेस को साथ लिए बिना नहीं बन सकता वैकल्पिक गठबंधन, जानिए तीन अहम वजह, तीसरे मोर्चे के लिए क्यों जरूरी है कांग्रेस

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NCP Chief Sharad Pawar said no third front without Congress know 3 major reasons

नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से तीसरे मोर्चे ( Third Front ) को लेकर चल रही कवायद के बीच एनसीपी ( NCP )चीफ शरद पवार ( Sharad Pawar ) का बड़ा बयान सामने आया है। शरद पवार ने भी माना है कि कांग्रेस ( Congress ) के बिना तीसरा मोर्चा मुमकिन नहीं है। दरअसल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो बार मुलाकात, विपक्षी दलों के साथ पवार की बैठक, जिसमें कांग्रेस शामिल नहीं हुई।

इन बातों ने राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के वजूद को लेकर सवाल खड़े कर दिए। क्या थर्ड फ्रंट कांग्रेस के बिना होगा? लेकिन इन सवालों और तमाम अटकलों पर शरद पवार ने विराम लगा दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि कांग्रेस के बिना थर्ड फ्रंट की कल्पना मुश्किल है। आइए जानते हैं लगातार कमजोर होने के बाद भी थर्ड फ्रंट के लिए कांग्रेस की जरूरत क्यों है?

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यहां से शुरू हुई कांग्रेस को लेकर अटकलें
राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार के आवास पर 22 जून को एक बुलाई गई। इस बैठक में कांग्रेस को छोड़ विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा था।

बैठक में तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सीपीआई के नेता डी राजा, एनसीपी के नेता माजिद मेमन संजय झा, सुधींद्र कुलकर्णी, केटीएस तुलसी, घनश्याम तिवारी, नीलोत्पल बसु और गीतकार जावेद अख्तर आदि ने हिस्सा लिया था। यह बैठक राष्ट्र मंच के बैनर तले हुई थी, जिसका गठन यशवंत सिन्हा ने 2018 में दिया था।

बैठक को लेकर यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि तीसरे मोर्चे का गठन करने के लिए ही यह बैठक बुलाई गई है। साथ ही कांग्रेस के शामिल ना होने पर ये भी कयास लगे कि क्या तीसरे मोर्चे से कांग्रेस को अलग किया जा रहा है।

पवार ने कही ये बात
एनसीपी अध्यक्ष पवार ने कहा कि राष्ट्र मंच की बैठक में गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई थी लेकिन अगर कोई वैकल्पिक फोर्स खड़ा करना है तो कांग्रेस को साथ लेकर ही किया जाएगा।

कांग्रेस के जरूरत की तीन बड़ी वजह
1. वैकल्पिक फोर्स
तीसरा मोर्चा यानी जनता के सामने अन्य विकल्प। इस वैकल्पिक फोर्स को खड़ा कर बीजेपी को सीधे टक्कर देने की कोशिश में विपक्षी दल जुटे हैं। ऐसे में शरद पवार ने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई वैकल्पिक फोर्स खड़ी करनी है तो ये कांग्रेस के बिना संभव नहीं है।

क्योंकि कांग्रेस पुरानी पार्टी होने के साथ ही सबको साथ लेकर चलने में सक्षम है। कांग्रेस के पास अब भी सोनिया गांधी के रूप में एक बड़ा नेता है जिसके अंडर में कई तमाम दलों के नेता बिना किसी इगो के काम कर सकते हैं। हालांकि तीसरे मोर्चे का चेहरा कौन होगा इस पर अभी कोई सहमति नहीं बनी है।

2. विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी
कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। उसकी पहुंच राष्ट्रव्यापी है। कई राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश आदि में विपक्ष के रूप में कांग्रेस पुरजोर ढंग से मौजूद है। ऐसे में कांग्रेस के बिना किसी तरह के तीसरे मोर्चे की बात करना बेमानी है।

3. बीजेपी को परोक्ष रूप से फायदा
तीसरे मोर्चे या वैकल्पिक फ्रंट में कांग्रेस इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कांग्रेस को अलग करने का परोक्ष रूप से फायदा बीजेपी को मिलेगा। कांग्रेस ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसकी कई राज्यों में अब भी स्थिति बेहतर है। किसी भी मोर्चे को खड़ा करने में संसाधन और मानव श्रम लगता है। मौजूदा समय में अब विपक्षी पार्टियों में सबसे बड़ा संसाधन कांग्रेस के पास ही है।

हाल में बीजेपी को करारी शिकस्त देने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी सोनिया गांधी को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखकर बीजेपी के खिलाफ साझा मंच तैयार करने की बात कह चुकी है। लिहाजा विपक्षी दल ये स्पष्ट रूप से जानते हैं कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना है तो कांग्रेस को साथ रखना बेहद जरूरी है।