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नेहरू नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे देश के पहले प्रधानमंत्री: चंद्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र बोस ने कहा है कि नेताजी देश के पहले प्रधानमंत्री थे न कि जवाहर लाल नेहरू। 

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Chandra-Bose

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नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र बोस ने कहा है कि नेताजी देश के पहले प्रधानमंत्री थे न कि जवाहर लाल नेहरू। इस वास्तविक तथ्य से देशवासियों को अवगत कराने के लिए इतिहास को दोबार लिखे जाने की जरूरत है। चंद्र बोस के मुताबिक नेताजी आजाद हिंद फौज के प्रमुख थे और उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप में भारत का झंडा लहराया था। नेताजी भारत के पहले प्रधानमंत्री थे भले ही वह निर्वासित सरकार के पीएम थे।

कांग्रेस ने इतिहास में जबरदस्ती छुपाए ये तथ्य
कर्नल शौकत अली मलिक ने पहली बार भारतीय जमीन में भारत का झंडा फहराया था। कर्नल मलिक आजाद हिंद फौज के सैनिक थे। 1947 को दूसरी बार झंडा फहराया गया था। कांग्रेस ने इतिहास में जबरदस्ती ये तथ्य छुपाए थे। चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप रखे जाने की मांग करते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने यही नाम रखा था।

11 बार जेल जाना पड़ा सुभाष को
स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में जानकीनाथ बोस और प्रभावती देवी के यहां हुआ था। उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया। इस नारे ने भारतीय युवाओं को जोश से भर दिया। अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने के कारण सुभाष को कुल 11 बार जेल जाना पड़ा। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई, 1921 को छह महीने जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी।

ऑस्ट्रिया की एमिली शेंकल से किया था विवाह
1934 में सुभाष ने ऑस्ट्रिया की एमिली शेंकल से विवाह किया और एमिली ने उनकी पुत्री अनीता को जन्म दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान की हार के बाद सुभाष ने रूस से सहायता मांगने का विचार किया। 18 अगस्त 1945 को जब वह मंचूरिया की ओर जा रहे थे, तभी उनका विमान लापता हो गया और वह फिर कभी नजर नहीं आए।

ताइहोकू अस्पताल में हुई थी नेताजी की मौतः टोकियो रेडियो
23 अगस्त, 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया कि सैगोन आते वक्त 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें नेताजी गंभीर रूप से जल गए और ताइहोकू सैन्य अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। हालांकि इस घटना की पूरी तरह से कभी पुष्टि नहीं हो पाई और उसका रहस्य अभी तक बरकरार है।