नई दिल्लीPublished: Sep 29, 2020 08:08:38 pm
विकास गुप्ता
राहुल गांधी ने लगभग 10 मिनट तक वर्चुअल रूप से किसानों के साथ बातचीत भी की
राहुल ने कहा, “एनडीए सरकार का उद्देश्य किसानों और श्रमिकों की रीढ़ की हड्डी तोड़ना है।
New agricultural laws like stabbing farmers: Rahul Gandhi
नई दिल्ली । केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में आवाज बुलंद करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दावा किया कि ये कानून ‘किसानों के दिलों में छुरा मारने’ और उनकी रीढ़ की हड्डी तोड़ने के लिए लाए गए हैं। उन्होंने लगभग 10 मिनट तक वर्चुअल रूप से किसानों के साथ बातचीत भी की।
कांग्रेस नेता ने कहा, “हमें बताया गया था कि 2016 में नोटबंदी का उद्देश्य काले धन से लड़ना था, लेकिन यह झूठ था। मुख्य उद्देश्य किसानों और श्रमिकों को आर्थिक चोट पहुंचाना था।”
उन्होंने कहा, “इसी तरह, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रोलआउट का उद्देश्य समान था। कोरोनोवायरस महामारी के दौरान भी गरीबों को पैसे दिए जाने की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने कुछ भी नहीं दिया।”
राहुल ने कहा, “एनडीए सरकार का उद्देश्य किसानों और श्रमिकों की रीढ़ की हड्डी तोड़ना है। नोटबंदी और कृषि कानूनों के बीच या जीएसटी रोलआउट और कृषि कानूनों के बीच कोई अंतर नहीं है। अंतर केवल यह है कि तीनों कृषि कानून आपके दिल में छुरा मारने के समान है। मैं बहुत स्पष्ट हूं कि हमें केवल किसानों के लिए नहीं बल्कि देश के लिए इसका विरोध करने की जरूरत है।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वे (भाजपा) कभी भी भारत की आजादी के लिए नहीं लड़े क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश शासकों का साथ दिया और किसानों के मुद्दों की उन्हें समझ नहीं है।
बातचीत के दौरान, पंजाब, बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसानों ने किसान कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चिंताओं, कृषि उपज और अन्य जरिए से कमाई पर अपने विचारों को रखा।
राहुल गांधी ने 2011-12 के दौरान उत्तर प्रदेश के भट्टा पारसौल में भूमि अधिग्रहण कानून के विरोध में अपनी भागीदारी को याद किया। उन्होंने कहा, “भट्टा परसौल में, किसानों के विरोध के दौरान, मैंने देखा कि उद्योगपति न केवल जमीन चाहते थे, बल्कि फसल उत्पादन भी चाहते थे। उस समय, मीडिया ने मुझे निशाना बनाया था।”