27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राज्यसभा में OBC बिल पास, विपक्ष ने की जातीय जनगणना की मांग के साथ 50 फीसदी आरक्षण सीमा हटाने की मांग

राज्यसभा में ओबीसी आरक्षण से जुड़े बिल को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई, जिसके बाद सर्वसम्मति के साथ इसे पारित किया गया। इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में इस बिल को पास किया गया था।

2 min read
Google source verification
rajya_sabha.jpg

OBC Bill Passed In Rajya Sabha, Opposition Demands Removal 50 Percent Reservation Limit

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया। संसद की कार्यवाही के आखिरी दिन राज्यसभा में चार बिलों को पास किया गया, इसमें से ओबीसी से संबंधित बिल अहम है। राज्यसभा में ओबीसी आरक्षण से जुड़े बिल को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई, जिसके बाद सर्वसम्मति के साथ इसे पारित किया गया।

इससे पहले बीते दिन मंगलवार को लोकसभा में पारित किया गया था। बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने जाति आधारित जनगणना और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आरक्षण की सीमा हटा दी जानी चाहिए जो अब 50 प्रतिशत है। यदि इसे नहीं हटाया गया तो ओबीसी आरक्षण से संबंधित विधेयक का उद्देश्य विफल हो जाएगा क्योंकि राज्यों को आरक्षण बढ़ाने की शक्ति मिलनी चाहिए।

यह भी पढ़ें :- OBC Reservation Bill: विधेयक पास होने के बाद विपक्षी दलों ने रखी नई मांग, जो सरकार के लिए बनी परेशानी का सबब

अभिषेक मनु सिंघवी और राजद मनोज कुमार झा ने जहां ओबीसी की संख्या का पता लगाने के लिए देश में जाति जनगणना की मांग की, वहीं विपक्ष को सरकार की ओर से कड़ी फटकार लगाई गई, भाजपा के सुशील मोदी ने दावा किया कि पूरा ओबीसी आरक्षण भाजपा के प्रयास से अस्तित्व में आया।

राज्यों को मिलेगा अधिक अधिकार

समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार यादवों, कुर्मियों और गुर्जरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची से हटाने की योजना बना रही है। बता दें कि लोकसभा ने मंगलवार को संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया।

यह भी पढ़ें :- OBC reservation bill : क्या आप जानते हैं ओबीसी आरक्षण की शुरुआत किसने की?

इस विधेयक को सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया। इसका उद्देश्य उस शक्ति को बहाल करना है जिसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को अपनी ओबीसी सूची बनाने की अनुमति दी। कई क्षेत्रीय दलों और यहां तक कि सत्ताधारी पार्टी के अपने ओबीसी नेताओं द्वारा भी इसकी मांग की गई थी।

बता दें कि, इस कानून के जरिए अब राज्य अपनी सुविधा के अनुसार, ओबीसी आरक्षण को लेकर सूची बना सकेंगे। इससे मराठा आरक्षण, जाट आरक्षण, पटेल आरक्षण आदि अन्य जातियों व समुदायों के लोगों की ओर से मांग किए जा रहे आरक्षण के संबंध में उन्हें लाभ मिल सकेगा।