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मोदी के एक कॉल से पाकिस्तान की बदल गई चाल, द्विपक्षीय वार्ता को तैयार

मोदी के एक फोन कॉल से पाकिस्तान द्वीपक्षीय वार्ता के लिए तैयार।

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मोदी के एक कॉल से पाकिस्तान की बदल गई चाल, द्विपक्षीय वार्ता को तैयार

नई दिल्ली। इमरान खान पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान को फोन पर बधाई दी थी। इतना ही नहीं मोदी ने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीद भी जताई थी। वहीं, अब पाकिस्तान ने अपनी चाल बदलते हुए मोदी के इस फोन कॉल का स्वागत किया है और कहा है कि वह द्विपक्षीय वार्ता की बहाली चाहता है, जो साल 2015 में रुक गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच द्वीपक्षीय वार्ता का मार्ग प्रशस्त

विदेश कार्यालय के प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद फैसल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि वह आशा करते हैं कि फोन कॉल भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता का मार्ग प्रशस्त करेगी। फैसल ने कहा कि पाकिस्तान नवंबर 2016 में स्थगित हुए सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार था। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने में काफी मदद मिलेगी। आपका बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने इमरान खान को जीत की बधाई देते हुए उम्मीद जताई थी कि पाकिस्तान और भारत द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में एक नये अध्याय की शुरूआत करने के लिए काम करेंगे। इस पर इमरान खान ने भी पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया था और कहा था कि विवादों का समाधान बातचीत से ही होना चाहिए।

कई मुद्दों पर बात होना बाकी

आपको बता दें कि साल 2016 में सार्क शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित किया जाना था, लेकिन उसी साल 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के कैंप पर आतंकी हमला हो गया था, जिसके बाद भारत ने मौजूदा परिस्थितियों के कारण शिखर सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान में ने भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं मामला ऐसा बिगड़ा कि सार्क सम्मेलन को रद्द करना पड़ गया था। इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक, सीजफायर उल्लंघन और कुलभूषण जाधव समेत कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर भारत और पाकिस्तान के बीच द्वीपक्षीय वार्ता नहीं हो सकी। लिहाला, अब कयास लगाया जा रहा है कि इस फोन कॉल से दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरेंगे और द्वीपक्षीय वार्ता का रास्ता निकल सकता है।