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रफाल विवाद में बीजेपी ने रॉबर्ट वाड्रा को घसीटा, राहुल चाहते थे उनकी कंपनी को मिले फायदा

रफाल सौदे को लेकर विवादों में घिरी बीजेपी ने अब सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को घसीट लिया है।

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Chandra Prakash Chourasia

Sep 24, 2018

Robert Vadra

रफाल विवाद में बीजेपी ने रॉबर्ट वाड्रा को घसीटा, राहुल चाहते थे उनकी कंपनी को मिले फायदा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुके रफाल विवाद में अब बीजेपी और कांग्रेस के बाद रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि रफाल विमान सौदे में रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी को बिचौलिया नहीं बनाए जाने की वजह से कांग्रेस और विपक्षी दल इस सौदे को रद्द कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

वाड्रा और भंडारी का लाभ चाहती कांग्रेस: बीजेपी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (यूपीए) के दौरान गांधी परिवार ने रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी संजय भंडारी को बड़ा लाभ देना चाहते थे। पिछली सरकार इनकी रक्षा व्यवसाय से जुड़ी कम्पनी को रफाल विमान सौदे में बिचौलिया बनाने की कोशिश में थी लेकिन यह सौदा रद्द हो गया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या हथियारों के व्यापारियों के व्यावसायिक हितों की रक्षा के लिए इस सौदे को रद्द किया जाना चाहिए।

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कांग्रेस चाहती है विमान सौदे रद्द हो: शेखावत

शेखावत ने कहा कि रफाल विमान सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की विपक्ष की मांग उचित नहीं है। इस प्रकार की जांच से गोपनीय तथ्यों का खुलासा होगा और देश की सामरिक तैयारी सार्वजनिक हो जाएगी। इससे गोपनीयता के प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश में निराशा का माहौल बनाना चाहते हैं और इस विमान सौदे को रद्द कराना चाहते हैं।

सीवीसी पहुंची कांग्रेस, एफआईआर की मांग

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने रफाल सौदे में कथित घपले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज करते हुए सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) पहुंची। कांग्रेस ने अयोग से जांच और प्राथमिकी (एफआईआर) के साथ-साथ सौदे से संबंधित जरूरी दस्तावेजों को जब्त करने की मांग की। कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे से राजकोष को भारी घाटा पहुंचा है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीवीसी के.वी. चौधरी से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में दावे के साथ कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित सौदा करीब 300 फीसदी की बढ़ी कीमत पर किया गया है और सौदे में रक्षा प्रबंध नीति (डीपीपी) का उल्लंघन किया गया है।