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राहुल गांधी का सरकार पर हमला, कहा- हमारे पास है मारे गए किसानों की लिस्ट, सरकार को मुआवजा देने में क्यों आ रही शर्म

राहुल गांधी का कहना है कि जब पीएम मोदी ने कृषि कानून लाने को अपनी गलती मान लिया है तो शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देने में शर्म किस बात की है।

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rahul gandhi say we have list death farmer gov should pay compensation

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नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों अब रद्द हो गए हैं। बावजूद इसके किसानों के मुद्दे पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि न जाने क्यों केंद्र सरकार को शहीद अन्नदाताओं के परिजनों को मुआवजा देने में शर्म आ रही है।

मुआवजा देने में शर्म क्यों
दरअसल, आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने किसानों के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कह कि जब पीएम मोदी ने कृषि कानून लाने को अपनी गलती मान लिया है तो शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देने में शर्म किस बात की है।

पीएम के पास हैं अपने उद्योगपति दोस्तों को नंबर
राहुल गांधी का कहना है कि सरकार संसद में कह रही है, उनके पास कोई डाटा नहीं है कि आंदोलन में अब तक कितने किसान मारे गए हैं। पीएम मोदी के पास सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों के नंबर हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हमारे पास आंदोलन के दौरान मारे गए हमारे पास 403 मृत किसानों की लिस्ट है, जिन्हें पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इनके परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा दिया है। यही नहीं पंजाब सरकार ने इनमें से 152 के परिजनों को नौकरी भी दी है।

राहुल गांधी ने कहा कि हमारे पास अन्य राज्यों के 100 नामों की एक सूची है और एक तीसरी सूची है, जिसमे नामों की सार्वजनिक जानकारी भी है। अगर सरकार कहे तो हम उन्हें यह लिस्ट सौंप देंगे और सरकार इस लिस्ट में दिए गए नामों को आसानी से सत्यापित भी कर सकेगी। लेकिन सरकार वादा करे कि इन किसानों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।

बता दें कि इन दिनों संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसमें सरकार किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है। कांग्रेस ने हाल ही में किसान आंदोलन में मारे गए अन्नदाताओं के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी। इसके जवाब में कृषि मंत्री ने संसद में कहा कि हमारे पास इसका कोई डाटा मौजूद नहीं है, ऐसे में हम किसानों को मुआवजा नहीं दे सकते।

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गौरतलब है कि करीब एक साल से किसान कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया। सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन इससे संबंधी विधेयक संसद में पेश किया, जो पारित हो गया। वहीं अब राष्ट्रपति ने भी इस विधेयक पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं।