दरअसल, राष्ट्रीय महिला आयोग में एक अध्यक्ष और पांच सदस्यों के पदों का प्रावधान है। लेकिन आयोग की जिम्मेदारी को वर्तमान में केवल रेखा शर्मा संभाल रही हैं। वह आयोग की अध्यक्ष हैं। पांच सदस्यों में से दो पदों को अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयोग के पास सबसे हाशिए वाले समुदायों से शिकायतें संभालने के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। सदस्यों के सभी पद लंबे अरसे से खाली है। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार को है। सरकार से सदस्यों को नियुक्त करने के लिए विभागीय पत्राचार के माध्यम से कई बार सूचित किया जा चुका है। सरकार को इस बात की भी जानकारियां दी गई हैं कि इससे महिला आयोग का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित है। इसके बावजूद सदस्यों को नियुक्त न किया जाना इस बात के संकेत हैं कि महिला सशक्तिकरण की बातें बढ़ चढ़कर करने वाली मोदी सरकार को महिलाओं की कोई चिंता नहीं है।
इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि सदस्यों को नियुक्त करने को लेकर एक प्रस्ताव प्रक्रिया में है और पद जल्द ही भरे जाएंगे। रिक्तियों के बारे में एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि सदस्यों की नियुक्ति न होने से वर्कलोड में वृद्धि हुई है। नियुक्तियों का मुद्दा पीएमओ और डब्ल्यूसीडी मंत्रालय द्वारा संभाला जाता है। उन्होंने बताया कि सभी पांच सदस्यों के लिए चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि 2015 से एनसीडब्ल्यू में नियुक्ति लंबित है। अप्रैल 2015 से महिला मसौदा विधेयक लंबित है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में गठित मंत्रियों के समूह ने आयोग को मजबूत करने के लिए जरूरी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी थी। लेकिन इस मसले को लेकर जरूरी बिल बिल अभी तक संसद में पेश नहीं हो सका है।