
50 विधानसभा सीटों पर सर्व आदिवासी समाज लड़ेगी चुनाव
Chhattisgarh Election 2023 : जगदलपुर। सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश के 50 विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम सोमवार को पत्रवार्ता में इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि 50 सीटों में से 30 आदिवासियों के लिए जबकि 20 अन्य के लिए चिन्हांकित कर लिया गया है।
इन सामान्य सीटों में चुनाव लड़ने के लिए आदिवासी समाज के बैनर तले अलग-अलग समाज के लोगों को चुनाव में खड़े होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अरविंद नेताम ने कहा कि इन 50 सीटों में बस्तर के 12 विधानसभा सीटों के साथ सरगुजा और प्रदेश के अन्य (Chhattisgarh Election 2023) विधानसभा सीटों में भी समाज के सदस्य चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अरविंद नेताम ने खुद चुनाव लड़ने के बाद से साफ इंकार कर दिया है।
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Chhattisgarh Election 2023 : अरविंद नेताम ने कहा कि यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम सर्व आदिवासी समाज के बैनर पर नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि हम अलग से राजनीतिक दल बना रहे है। जिसकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।विधिवत रूप से पार्टी के नाम की घोषणा भी कर दी जाएगी। अरविंद नेताम ने कहा कि हालांकि अब तक उन्होंने कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ी है।
30 सीट आदिवासी के लिए आरक्षित, 20 सीट सामान्य के लिए होंगे
CG Politics News: उन्होंने बताया कि कुल 50 सीटों में समाज चुनाव लड़ेगी, जिसमें से 30 आदिवासी आरक्षित सीट है, इसमें समाज अपना प्रत्याशी उतारेगा। इसके अलावा 20 सामान्य सीट को चिन्हित किया गया है, जिसमें समाज के काफी संख्या में मतदाता हैं, वहां भी प्रत्याशी उतारने का प्रयास किया जा रहा हैं। इसके अलावा भी अन्य समाज को चुनाव लड़ने के लिए न्यौता दे रहे हैं कि जनरल सीट में हमारे बैनर तले चुनाव लड़ेंगे तो समाज के लोग उनकी पूरी मदद करेंगे। इस प्रकार से करीब 50 सीटों में सर्व आदिवासी समाज चुनाव मैदान में अपने प्रत्याशी उतरेगा।
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आदिवासियों के हितों का हो रहा हनन
वही सर्व आदिवासी समाज के द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर अरविंद नेताम ने कहा कि पिछले 15 सालों से सर्व आदिवासी समाज के लोग अपने संवैधानिक मांगों को लेकर जगह-जगह धरना प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। बीजापुर का सिलगेर आंदोलन इसका जीता जागता उदाहरण है। लंबे समय से बस्तर में आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है।
उनके जल जंगल जमीन में उद्योग लगाने के नाम पर अवैध तरीके से उनके जमीन छीने जा रहे है। यही नहीं पेसा कानून के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, इसलिए (CG Politics News) आदिवासी समाज बस्तर के साथ-साथ सरगुजा में भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हैं। यही वजह है कि अपने हितों की रक्षा के लिए समाज चुनावी मैदान में उतर रहा है।
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Published on:
08 Aug 2023 05:13 pm
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