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पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया स्पष्ट, कांग्रेस के 15 सालों में कभी नहीं हुआ टकराव

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बिल्कुल स्पष्ट बताया है।

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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी समय से चल रहे गतिरोध के बीच बुधवार को सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं। वहीं, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बिल्कुल स्पष्ट बताया है।

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पूर्व सीएम का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 239 (एए) के अंतर्गत दिल्ली एक राज्य नहीं, बल्कि केंद्रीय शासित प्रदेश है। यहां अगर दिल्ली सरकार और एलजी मिलकर काम नहीं करते तो दिल्लीवासियों के सामने परेशानी खड़ी हो सकती है। शीला दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में कांग्रेस की 15 सालों तक सरकार रही है, लेकिन इस तरह का टकराव कभी नहीं हुआ।

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बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसले के दौरान कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा कोई भी कानून ला सकती है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि दिल्ली की स्थिति बाकि केंद्र शासित राज्यों से अलग है। इस लिए यहां में अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं है। बेहतर होगा कि सभी मिलकर काम करें। दरअसल, अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल किसी खास मामले में विचार के मतभेदों की स्थिति में राष्ट्रपति को फाइल भेजने के लिए भी बाध्य हैं। इसके अलावा उपराज्यपाल एक 'अवरोधक' के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना होगा।