
राम राज्य में लोकतंत्र था तभी सीता को अपशब्द कहा गया: सुब्रमण्यम स्वामी
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 'राम राज्य' शासन के बारे में अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने कहा कि 'राम राज्य' का मतलब ऐसा राज्य या ऐसा शासन जिसमें सबका भला हो। उनका कहना है कि इसका किसी धर्म से जाति-बोधन नहीं है। बता दें कि उनका यह बयान मंगलवार को आया है।
रामायाण के 'राम राज्य' के समय था लोकतंत्र: सुब्रमण्यम स्वामी
उन्होंने इस बारे में बात करते हुए रामायण से एक उदाहरण भी दिया। उनका कहना है कि जब राम राज्य में एक नागरिक ने सीता के लिए गलत बातें कहीं थी तो सीता नाराज होकर वहां से चली गईं। इस बात पर राम दुखी हुए, उन्होंने सीता की मूर्ति रखकर शासन किया लेकिन उन्होंने सीता को गंदी बातें कहने वाले शख्स को सजा नहीं सुनाई, वो लोकतंत्र था। उन्होंने आगे कहा कि राम राज्य में ऐसी व्यवस्था या यू कहें ऐसी संस्कृति थी जिससे उत्तम शासन का उदाहरण पेश किया जा सकता है। इसलिए 'राम राज्य' शब्द का प्रयोग करते हैं, इसका किसी ध्रम से तालुक्क नहीं है।
योगी आदित्यनाथ ने दी थी 'राम राज्य' की परिभाषा
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में बयान देते हुए राम राज्य की परिभाषा बताई थी। सोमवार को भाजपा की सहयोगी पार्टी 'अपना दल (सोनेलाल)' के फाउंडर सोनेलाल पटेल की 69वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आए यूपी सीएम योगी ने कहा, 'राम राज्य को शासन की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था के रूप में इसलिए माना जाता है, क्योंकि उसमें किसी के भी साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होता'। उन्होंने आगे कहा, 'जब भेदभाव मिटता है तो शासन के गरीबों, वंचितों और समाज के हर तबके को उसका हक ईमानदारी से दिया जाता है। इसीलिए हमने शासन की आदर्श व्यवस्था को रामराज्य के रूप में माना है'।
Published on:
03 Jul 2018 02:30 pm
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