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जानिए कौन हैं बिपल्ब देब, त्रिपुरा के सीएम पद की रेस में इनका नाम है सबसे आगे

मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे यहां के प्रदेश अध्यक्ष बिपल्ब कुमार देब हैं। देब कम बोलने वाले नेता हैं और अपने काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

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नई दिल्ली: त्रिपुरा में लाल मुक्त और केसरिया युक्त की शुरुआत हो गई है। भाजपा ने यहां सत्ता पर काबिज 25 साल से सीपीएम नेतृत्व वाली लेफ्ट को उखाड़ फेंका है। दो तिहाई जीत के बाद राज्य की कमान किसके हाथों में रहेगी इसको लेकर अटकले तेज हो गई है। मुख्यमंत्री पद की रेस में बिपल्ब देब का नाम सबसे आगे चल रहा है। बिपल्ब कुमार देब वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। देब कम बोलने वाले नेता हैं और अपने काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान बिपल्ब देब ने बेहतर प्रदर्शन किया। पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियों में पर्दे के पीछे रहकर इन्होंने बेहतर भूमिका निभाई है।

बेदाग छवि के नेता हैं देब
पहली बार पश्चिम त्रिपुरा की बनामालीपुर सीट से जीतने वाले बिप्लब कुमार देव ने 1999 में त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट किया है। उसके बाद वो दिल्ली आ गए। दिल्ली में देब ने एक जिम में बतौर ट्रेनर के रूप में किया। इसी दौरान ये त्रिपुरा में भाजपा के चुनाव प्रभारी सुनील देवधर के संपर्क में आए और फिर प्रदेश लौटकर वहां पार्टी के कामों को खड़ा किया। चुनाव प्रचार के दौरान देब सुदूर गांवों में जाकर माणिक सरकार की नाकामियों को जोरदार तरीके से उठाया।

बिपल्ब देब की पत्नी बैंक में हैं कार्यरत

बिपल्ब देब के खिलाफ एक भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय विचारक के एन गोविंदाचार्य के साथ भी काम किया है। बिपल्ब कुमार देब लो प्रोफाइल नेता हैं। जमीन से जुड़े बिपल्ब देब के एक सहयोगी बताते हैं कि वह अपनी जिम्मेदारियों को निर्वहन करने के लिए दिन रात एक कर देते हैं।चुनावी सभाओं के दौरान भाजपा महासचिव राम माधव के साथ वह मंच भी साझा करते दिखे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि त्रिपुर में विप्लव को भाजपा की कमान दी जा सकती है। बिपल्ब देब की पत्नी दिल्ली में संसद मार्ग पर स्थित बैंक में कार्यरत हैं और चुनावी हलफनामे में उनकी कुल आय 9, 01, 910 रुपए है।

2013 में बीजेपी प्रत्याशियों की हुई थी जमानत जब्त

पूर्वोत्तर में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। त्रिपुरा में 25 साल बाद लेफ्ट के किले को ढाहते हुए पहली बार बीजेपी सत्ता में लौटी है। वहीं नागालैंड में भाजपा गठबंधन बहुमत के करीब है तो मेघालय में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। त्रिपुरा में 2013 विधानसभा में 1.5 फीसदी वोट हासिल करने और अपना खाता न खोल पाने वाली बीजेपी को 2018 चुनाव परिणाम में बेहतरीन कामयाबी मिली है।