केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मंगलवार को पत्रिका कीनोट सलोन में जवाब दे रहे थे। उन्होंन कहा कि यह संकट पूरे विश्व पर है। पश्चिमी देशों में जितने लोगों की जान गई है, उस मुकाबले में हमारे यहां बहुत कम हुई है। हमें कोरोना वायरस के साथ जीने की पद्धति को समझना होगा। लोग मानसिक रूप से भी परेशान हुए हैं। लोग इतने डर गए कि मुंबई से साइकिल से अपने घर के लिए निकल गए।
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सरकार ने अपेक्षा पूरी की
उद्योग बंद हैं, रोजगार चला गया है। लोग बहुत बड़ा संकट महसूस कर रहे हैं। स्वभाविक रूप से संकट आता है तो जनता भगवान से या सरकार से अपेक्षा रखती है। अमेरिका ने 2 ट्रिलयन का जापान ने 12 परसेंट जीडीपी दिया है। मैंने समझाया कि जापान और अमेरिका की इकनोमी से तुलना नहीं हो सकती। भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ यानी जीडीपी का 10 प्रतिशत जारी किया है। हमें भरोसा है कि इससे पूरे देश का भला होगा।
कोरोना एक आर्टिफिसियल वायरस
बहुत से नेचुरल वायरस होते हैं, उनकी वैक्सीन होती है। लेकिन कोरोना एक आर्टिफीसियल वायरस है, दुनिया में कोई वैक्सीन नहीं है। लेकिन हमें जल्द भरोसा है कि इसकी वैक्सीन बाजार में होगी। संभव है कि यह इस रूप में आए कि आप इसका एक टीका लगवाइए और आप इसके संभावित खतरे से मुक्त हो जाएंगे।
हमारे पास तीन साल का गेहूं-चावल
हमारे पास इतना गेहूं और चावल है कि तीन साल तक उपयोग कर सकते हैं। रखने के लिए जगह नहीं है। हमने जरूरतमंदों को सब जगह अनाज भी मुफ्त में दिया। सरकारी पैकेज में 3 लाख करोड़ एमएसएमई को मिले हैं। देश में 45 लाख एमएसएमई को पैसे मिलेगें। वे मशीन खऱीदेंगे, कच्चा माल खरीदेंगे, श्रमिकों को पैसा मिलेगा। सरकारों को जीएसटी और राजस्व मिलेगा।