रामविलास पासवान मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, और लोक जनशक्ति पार्टी के चीफ हैं। राम विलास पासवान ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था, वे वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं । रामविलास पासवान बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता हैं। बता दें कि पिछले महीने रामविलास पासवान के भाई और बिहार से समस्तीपुर से सांसद रामचंद्र पासवान की हॉर्ट अटैक से मौत हो गई थी।
1960 के दशक में राजनीतिक करियर की शुरुआत
राम विलास पासवान ने अपना राजनीतिक करियर बिहार में 1960 के दशक में शुरू किया। बिहार विधानसभा के सदस्य बने। उसके बाद आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों से जीत हासिल की रिकॉर्ड कायम किया।
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वीपी सिंह की सरकार में बने मंत्री
1989 में रामविलास पासवान वीपी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए और उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। एक दशक के भीतर ही वह एच डी देवगौडा और आई के गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 1990 के दशक में वो राजग में शामिल हुए और संचार मंत्री बने और फिर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वह कोयला मंत्री बने।
2002 में राजग से अलग हो गए थे पासवान
2002 में गुजरात दंगे के बाद विरोध में पासवान ने राजग से अपना नाता तो़ड़ लिया और कांग्रेस नीत संप्रग में शामिल हो गए। 2004 में संप्रग के आने पर वह मनमोहन सिंह की सरकार में रसायन एवं उर्वरक मंत्री नियुक्त किए गए। लेकिन 2009 में उन्हें संप्रग में मंत्री पद नहीं मिला जिसके बाद वो संप्रग से बाहर निकल गए
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2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में उन्हें 7 सीटें दी और 6 सीटों पर जीत दर्ज की। मौजूदा समय में वो मोदी सरकार 2 में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं।