27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जब सुषमा स्वराज ने कहा था, सिर मुंडा कर सफेद साड़ी पहनूंगी और जमीन पर सोऊंगी

पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी की बेबाक और फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज ने बड़ी घोषणा की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को ऐलान किया कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी।

3 min read
Google source verification
EAM Swaraj arrives in Tajikistan

See sushma swaraj in Qatar

नई दिल्ली। पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी की बेबाक और फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज ने बड़ी घोषणा की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को ऐलान किया कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो स्वराज का सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करना पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है। भाजपा का प्रमुख चेहरा मानी जाने वाली सुषमा पार्टी में प्रमुख पदों पर रही हैं। उनकी ताजा घोषणा के साथ ही 2004 में दिया गया उनका वो बयान अनायास ही याद आ जाता है, जब उन्होंने कहा था कि वो सिर मुंडा कर सफेद साड़ी पहनेंगी और जमीन पर सोएंगी।

स्वराज ने यह ताजा घोषणा मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रचार अभियान के दौरान की। चुनाव न लड़ने के पीछे स्वराज ने अपने स्वास्थ्य को वजह बताया। मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से लोकसभा सांसद सुषमा स्वराज 2014 में लगातार दूसरी बार यहां से चुनाव जीती थीं। 66 वर्षीय सुषमा स्वराज फिलहाल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते भाजपा के प्रचार में जुटी हुई हैं।

भाजपा की मुखर और वाकपटु नेता सुषमा स्वराज को पार्टी में मजबूत पद मिलता रहा है। उन्होंने हर मोर्चे पर न केवल खुद को साबित किया बल्कि तमाम मौकों पर दिए उनके बयान आज भी लोग नहीं भूलते हैं। एक ऐसा ही किस्सा 1999 लोकसभा चुनाव का है। उस वक्त सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी की कमान संभाले हुए तकरीबन एक साल ही हुआ था। साल 1999 की तारीख 29 अक्टूबर थी, जिस दिन सोनिया ने घोषणा की कि वो उत्तर प्रदेश में अमेठी से और कर्नाटक के बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।

ऐसे वक्त में भाजपा ने सोनिया को टक्कर देने के लिए सुषमा को मैदान में उतार दिया। कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली बेल्लारी सीट को लेकर सोनिया की जीत पक्की मानी जा रही थी। लेकिन सुषमा ने कड़ी चुनौती देने के लिए केवल 30 दिनों के भीतर ही कन्नड़ भाषा सीखी और चुनाव प्रचार में कन्नड़ में भाषण देने लगीं। सुषमा ने सोनिया के विदेशी मूल पर सवाल उठाते हुए विदेशी बहू और देसी बेटी का जुमला उछाला। हालांकि इस चुनाव में सुषमा 56 हजार वोटों से हार गईं लेकिन उन्होंने यह कहकर सबका दिल जीत लिया कि भले ही वो चुनाव हार गईं, लेकिन संघर्ष उनके नाम रहा।

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुषमा को इसका पुरस्कार भी दिया और उन्हें केंद्र में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री के बाद उन्हें परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।

इसके बाद सुषमा ने 2004 में मोर्चा संभाला। उस वक्त लोकसभा चुनाव में यूपीए ने एनडीए को हरा दिया था। कांग्रेस ने तैयारी की कि वो सोनिया गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाएगी। सोनिया गांधी को भारत के प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए भाजपा पूरी तरह विरोध में आ गई और जमकर प्रदर्शन किए। सुषमा स्वराज ने इस दौरान आगे आते हुए मोर्चा संभाला और बहुत बड़ा ऐलान कर दिया।

सुषमा स्वराज ने कहा था, "संसद सदस्या बनकर अगर संसद में जाकर बैठती हूं तो हर हालत में मुझे उन्हें माननीय प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधित करना होगा, जो मुझे गंवारा नहीं है। मैं नहीं कर सकती। मेरा राष्ट्रीय स्वाभिमान मुझे झकझोरता है। मुझे इस राष्ट्रीय शर्म में भागीदार नहीं बनना। इसलिए मैंने तय किया कि संसद सदस्यों की जो सुविधाएं हैं न सबकुछ छोड़ेंगे, लेकिन संसद की सदस्यता से इस्तीफा देकर ये बात कायम करेंगे कि मैं उन्हें स्वीकार नहीं करती।"

उन्होंने तब घोषणा की थी कि अगर सोनिया गांधी पीएम बनती हैं तो वो सिर मुंडा लेंगी, सफेद साड़ी पहनेंगी, भिक्षुणी की तरह जमीन पर सोएंगी और सूखे चने खाएंगी। उनकी इस घोषणा से देशवासी सकते में आ गए थे और इसके बाद हुआ भी कुछ ऐसा कि लोगों का सुषमा पर भरोसा और बढ़ गया। जब समूचा यूपीए सोनिया गांधी को पीएम बनाने के लिए तैयार था, सोनिया गांधी ने खुद आगे आकर घोषणा कर दी कि वो प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी।