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कौन हैं डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल, जिनकी आत्मकथा का PM Modi ने किया विमोचन

पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आत्मकथा का किया विमोचन। महाराष्ट्र के बड़े नेता डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल ( Dr. Balasaheb Vikhe Patil ) सात बार सांसद रहे थे। कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के मौजूदा और पूर्व सीएम रहे मौजूद।

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PM Modi releases autobiography of Dr. Balasaheb Vikhe Patil

PM Modi releases autobiography of Dr. Balasaheb Vikhe Patil

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल ( Dr. Balasaheb Vikhe Patil ) की आत्मकथा 'देह वीचवा करणी' का विमोचन किया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने पाटिल के सम्मान में प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी का नाम बदलकर लोकनेते डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल प्रवर रूरल एजुकेशन सोसाइटी कर दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत कई अन्य लोग मौजूद रहे।

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कौन है बालासाहेब विखे पाटिल

पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल महाराष्ट्र के बड़े नेता थे। वह काफी लंबे वक्त तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे थे। हालांकि बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का कमल थाम लिया। पाटिल सात बार लोकसभा चुनाव जीते और उन्होंने महाराष्ट्र के कोपरगांव और अहमदनगर (दक्षिण) का प्रतिनिधित्व किया। इसके साथ ही उन्होंने एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री पद भी संभाला। वर्ष 2016 में पाटिल का निधन हो गया था। लंबे वक्त तक सेवा किए जाने के चलते वर्ष 2010 में बालासाहेब विखे पाटिल को समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।

क्या बोले पीएम मोदी

1. मैं राधाकृष्ण विखे पाटिल जी, उनके परिवार और अहमदनगर के सभी साथियों का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इस पुण्य अवसर से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया।

2. डॉ बालासाहेब विखे पाटिल जी की आत्मकथा का विमोचन भले आज हुआ हो, लेकिन उनके जीवन की कथाएं आपको महाराष्ट्र के हर क्षेत्र में मिलेंगी। मैंने भी ये देखा है कि बालासाहेब विखे पाटिल जी ने कैसे महाराष्ट्र के विकास के लिए खुद को समर्पित कर दिया था।

3. उन्होंने सत्ता और राजनीति के जरिए हमेशा समाज की भलाई का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा इसी बात पर बल दिया कि राजनीति को समाज के सार्थक बदलाव का माध्यम कैसे बनाया जाए, गांव और गरीब की समस्याओं का समाधान कैसे हो। उनकी यही सोच उन्हें दूसरों से अलग करती थी।

4. गाँव गरीब के विकास के लिए, शिक्षा के लिए, उनका योगदान हो, महाराष्ट्र में कोऑपरेटिव की सफलता का उनका प्रयास हो, ये आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देगा। इसलिए, बालासाहेब वीखे पाटिल के जीवन पर ये किताब हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

5. डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल ने गांव, गरीब और किसानों के दुख को, दर्द को नजदीक से देखा, समझा। इसलिए वो किसानों को एक साथ लाए, उन्हें सहकार से जोड़ा। ये उन्हीं का प्रयास है कि जो इलाका कभी अभाव में जीने को मजबूर था, आज उसकी तस्वीर बदल गई है।

6. सहकारिता के महत्व पर उन्होंने लिखा है कि सहकारिता अभियान सच्चे अर्थों में निष्पक्ष होता है। इसका किसी भी जाति और पंथ से कोई सरोकार नहीं होता।

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7. बालासाहेब विखे पाटिल जी के मन में ये प्रश्न ऐसे ही नहीं आया। ज़मीन पर दशकों तक उन्होंने जो अनुभव किया, उसके आधार पर उन्होंने ये बात कही। बालासाहेब विखे पाटिल के इस सवाल का उत्तर आज के ऐतिहासिक कृषि सुधारों में हैं।

8. आज खेती को, किसान को अन्नदाता की भूमिका से आगे बढ़ाते हुए, उसको उद्यमी बनाने, Entrepreneurship की तरफ ले जाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं।

9. देश ने पहली बार किसान की आय की चिंता की है। उसकी आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किया है। चाहे वो MSP को लागू करने या बढ़ाने का फैसला हो, यूरिया की नीम कोटिंग हो, सरकार ने किसानों की हर छोटी से छोटी दिक्कत को दूर करने का प्रयास किया है।

10. पीएम किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को छोटे छोटे खर्चे के लिए दूसरों के पास जाने से मुक्ति दिलाई है। इस योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किये जा चुके हैं।

11. डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल महाराष्ट्र के गांवों की एक और समस्या के समाधान को लेकर हमेशा प्रयासरत रहे। ये समस्या है पीने और सिंचाई के पानी कि दिक्कत। महाराष्ट्र में पानी परिषदों के माध्यम से उन्होंने इस दिशा में एक जन आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की थी।

12. कोल्ड चैन, मेगा फ़ूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हुआ है। गांव के हाटों से लेकर बड़ी मंडियों के आधुनिकीकरण से भी किसानों को लाभ होने वाला है।

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13. नए और पुराने तौर तरीकों के मेल का बहुत सटीक उदाहरण है गन्ने की फसल। अब गन्ने से एथेनॉल निकालने के लिए भी उद्योग लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में भी 100 के करीब ऐसे उद्योग चल रहे हैं और दर्जनों ऐसे उद्योगों को स्वीकृति मिल चुकी है।

14. किसानों, पशुपालकों और मछुआरों, तीनों को बैंकों से आसान ऋण मिल पाए, इसके लिए सभी को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है। लगभग 2.50 करोड़ छोटे किसान परिवार जो पहले किसान क्रेडिट कार्ड से वंचित थे, अब उनको विशेष अभियान चलाकर ये सुविधा दी जा रही है।