जिला सेन समाज की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक ज्ञापन प्रतापगढ़ विधानसभा विधायक रामलाल मीणा को भी सौंपा गया हैं। जिसमें मांग करते हुए बताया गया हैं कि वे सेलून का कार्य कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में सारे धंधे बंद है। निकट भविष्य में खोलने की कोई उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आ रही। ऐसे में उन्हें सुविधा और आर्थिक सहायता दी जाए। उनका मार्च ,अप्रैल, मई किराया माफ किया जाए। साथ बिजली, नल के बिल माफ करने के साथ मासिक भत्ता 15000 दिया जाए। उन्होंने बताया कि विधायक रामलाल मीणा ने सेन समाज की व्यथा को समझ कर मुख्यमंत्री को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए पत्र भी लिखा।अब समाज के लोगो को मुख्यमंत्री की ओर से सहायता मिलने की आस है। मांग करने में मनोज सेन, गोपाल सेन,राजू सेन, मोहन सेन, भेरू सेन, हेमंत सेन, राकेश सेन,विजय सेन, सहित समाज के अन्य लोग शामिल थे।
ग्रामीण क्षेत्रों के हाल बेहाल
सेलून का काम करने वाले लोगो की माली हालत सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब हो चली है। दलोट, निनोर, बोरदिया, बड़ी साखथली, रायपुर, सालमगढ़, भचूंडला, चकुंडा सहित अन्य बड़े गांव एवं कस्बों की सेलून दुकानें बंद हैं। वे घरों में कैद हैं। गांवों में सदियों से प्रथा चली आ रही है कि सेन समाज के लोग घर-घर जाकर साल भर लोगों के दाढ़ी और बाल काटते हैं। इनके बदले उन्हें जब 6-6 माह में रबी और खरीफ की फसल आती है तो उसका पारिश्रमिक दिया जाता है। ऐसे में उन्हें चिंता सता रही कि जब लोगों के बाल और दाढ़ी बनाने को नहीं मिलेंगे तो फिर उनका मेहनताना कैसे मिलेगा। सदियों पुरानी प्रथा भी लॉकडाउन के चलते बंद हो गई है।
जैसे-तैसे जुगाड़, दुकान किराये की भी चिंता
सैलून संचालक गोपाल सेन व दिलीप सेन ने कहा कि 22 मार्च से दुकान बंद है। ये मध्यप्रदेश के हतनारा गांव के हैं जो दलोट में किराए से दुकान व मकार लेकर परिवार के साथ रहते हैं। दुकान बंद होने से आय बिल्कुल बंद हो गई है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन की आय साढ़े तीन सौ से पांच सौ रुपए प्रति कारीगर होती है। लॉकडाउन के कारण दुकान बंद है और वे घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। परिवार के भरण पोषण के अलावा दुकान के किराये की भी चिंता है। दोनो जगह का किराया तीन माह का बकाया हो चुका है। पूर्व में काम करके जो थोड़े बहुत रुपये जोड़े थे उससे काम चल रहा है, आगे का बजट गड़बड़ा गया है। इसलिए शासन को चाहिए कि अपनी सुविधा के अनुसार निर्णय ले और सभी का ध्यान रखें। दुकान बंद रहने और आय नहीं होने से किराया कैसे चुकाएंगे, यह भी चिंता बनी रहती है।