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प्रतापगढ़

फसल चक्र के अभाव में ऊसर हो रहे कांठल के खेत

कृषि विशेषज्ञों ने दी फसल बदलकर बुवाई करने की सलाह

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कृषि विभाग ने भी खरीफ लक्ष्य में किया बदलाव
प्रतापगढ़. जिले में गत वर्षों से अधिक उत्पादन के चक्कर में किसानों ने खेतों को ऊसर बना दिया है। लगातार हो रही सोयाबीन से खेतों कर उर्वरा शक्ति कम होने लगी है। ऐसे में किसानों को फसल चक्र अपनाना पड़ेगा। जिससे उर्वरा शक्ति बनी रहे। गौरतलब है कि कांठल का वातावरण सभी फसलों के उपयुक्त माना गया है। ऐसे में यहां गत डेढ़ दशक से सोयाबीन का रकबा लगतार बढ़ा है। जिससे शुरुआती वर्षों में यहां अच्छा उत्पादन भी हुआ था। लेकिन लगातार एक ही फसल की बुवाइ करने से गत कुछ वर्षों से सोयाबीन के उत्पादन में कमी आने लगी है। इसके साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति भी कम होने लगी है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही है। जबकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में फसल चक्र अपनाना आवश्यक है। जिससे खेत की गुणवत्ता बनी रह सके। इसी कारण कृषि विभाग के साथ किसानों ने भी सोयाबीन के स्थान पर मक्का बुवाई पर जोर दे रहे है। विभाग की ओर से इस वर्ष मक्का का रकबा 48 हजार हैक्टेयर में किया गया है। जबकि सोयाबीन का रकबा कम करते हुए एक लाख 30 हजार हैक्टेयर में किया गया है। इसी प्रकार मूंगफली और उड़द का रकबा भी बढ़ाया गया है।
खेतों में खरपतवार भी बढ़ता है
एक तरह की फसल बुवाई के कारण खेतो में एक तरह की खरपतवार भी पनपने लगी है। इससे फसलों में 15 से 80 प्रतिशत तक नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि फसल चक्र अपनाएं। जिससे खेतों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं हो सके।
यह है होता है फसल चक्र
फसल चक्र का मतलब होता है कि एक ही खेत में दो या दो से अधिक अलग-अलग फसलें एक के बाद एक उगाई जाती हैं। फसल चक्र की योजना में लगातार एक ही फसल को नहीं उगाई जाती है। इसके स्थान पर प्रति वर्ष फसलें बदल-बदल कर बुवाई करते है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी नहीं होती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। इससे मिट्टी के पोषक तत्वों में वृद्धि होती है। इसके साथ ही खेत की जैव विविधता को बढ़ावा होता है। वहीं कई प्रकार के खरपतवार और कीटों में कमी होती है।
फसल चक्र आवश्यक, ताकि बनी रहे उर्वरा शक्ति
खेतों में फसल चक्र आवश्यक होता है। जिससे फसलों की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। केन्द्र की ओर से किसानों को भी यही सलाह दी जाती है कि खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए फसल चक्र अपनाए। इसके साथ ही गोबर की खाद का अधिक प्रयोग करें। जिले में गत वर्षों से गोबर की खाद की कमी होती जा रही है। इससे उत्पादन पर असर देखा जा रहा है।
डॉ. योगेश कन्नोजिया, प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रतापगढ़.