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रामकन्या फिर सभापति बनी, 22 दिन के बाद परिषद में एंट्री

- हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश पर रोक लगाई- कौशल्या देवी 20 दिन रही इस पद पर

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रामकन्या फिर सभापति बनी, 22 दिन के बाद परिषद में एंट्री

रामकन्या फिर सभापति बनी, 22 दिन के बाद परिषद में एंट्री


प्रतापगढ़. नगर परिषद में एक बार फिर से उलटफेर हो गया। हाईकोर्ट ने सभापति रामकन्या गुर्जर के निलंबन आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी। इस आदेश के बाद रामकन्या ने मंगलवार को ही नगर परिषद में वापस पदभार संभाल लिया। वे करीब 22 दिन निलंबित रही। इस बीच सभापति की कुर्सी पर बीस दिन के लिए कौशल्या देवी काबिज रही।

विधायक रामलाल मीणा की शिकायत के बाद नगरीय निकाय विभाग ने सभापति गुर्जर के खिलाफ जांच शुरू करते हुए उन्हें गत 4 अप्रेल को निलंबित कर दिया था। इस निलंबन आदेश के खिलाफ सभापति रामकन्या गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में अपील की। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश विजय विश्नोई निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। आदेश में न्यायाधीश विश्नोई ने कहा कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि सभापति जांच में व्यवधान डालेंगी। इसलिए स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी 04 अप्रेल के आदेश रोक लगाई जाती है। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
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सत्य की जीत हुई है : रामकन्या
अदालत के आदेश के बाद सभापति रामकन्या गुर्जर ने मंगलवार को पदभार संभाल लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उन्हें देश की न्याय प्रणाली पर पूरा विश्वास है। उन्हें जीत का पूरा भरोसा था। यह सत्य की जीत हुई है। मैं प्रतापगढ शहरवासियों की सेवा के लिए चौबीसों घंटों सेवा करने के लिए संकल्पबद्ध हूं।
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भाजपा से कांग्रेस में आई सभापति, फिर भी नहीं बनी बात

इस बार नगर परिषद में एक वोट से भाजपा को बोर्ड बना था। प्रहलाद गुर्जर की पत्नी रामकन्या गुर्जर सभापति बनी, लेकिन कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा से उनकी पटरी नहीं बैठी। इसके बाद वे अपनी महिला समर्थक पार्षद के साथ कांग्रेस में आ गई। कुछ दिन ठीक ठाक चलने के बाद विधायक से उनकी फिर अनबन हो गई।
अनबन का यह दौर उस चरम पर पहुंच गया। स्वायत्त शासन विभाग ने पद के दुुरूपयोग के आरोप में सोमवार को सभापति रामकन्या गुर्जर को निलंबित कर दिया। इससे पहले विधायक रामलाल मीणा की शिकायत पर सभापति के खिलाफ प्रारंभिक जांच की गई थी। उसमें आरोपों को प्रथम ²ष्टया प्रमाणित मानते हुए यह आदेश जारी किया गया। अब सभापति के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच होगी। न्यायिक जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर सभापति छह साल के लिए चुनाव लडऩे के अयोग्य भी घोषित की जा सकती है।
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निलंबन से पहले ये आरोप लगाए थे...

- अपने पति को निजी सहायक बनाया। हालांकि कोर्ट पेश जवाब में उन्होंने बताया कि यह आदेश उन्होंने कुछ दिन बाद ही वापस ले लिया था।
- सरकार ने कार्यवाहक आयुक्त जितेन्द्र मीणा का तबादला कर आयुक्त का कार्यभार एडीएम गोपाल स्वर्णकार को दिया गया। लेकिन सभापति ने सरकार के निर्णय को अतिक्रमित करते हुए परिषद के अधिकारी को को ही कार्यभार सौप दिया।
- सभापति के पति के अतिक्रमण को जानबूझकर छोड़ा गया
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विधायक रामलाल मीणा ने की थी स्वायत्त शासन मंत्री को शिकायत

विधायक रामलाल मीणा ने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को सभापति की शिकायत कर दी। इसके बाद कलक्टर की ओर से मामले की जांच की गई। वहीं सभापति को नोटिस दिया गया।