
संरक्षण की है दरकार
देवीशंकर सुथार - प्रतापगढ़. जिले समेत प्रदेश में गत वर्षों से नम भूमि में कमी, चरनोट पर अतिक्रमण, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग काफी बढ़ गया है। ऐसे में कई जीवों के लिए संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में एक दशक पहले तक तालाबों, खेतों, खुली जगहों में स्वच्छंद विचरण करने वाले स्थानीय पक्षी सारस पर भी असर पड़ा है। इनकी संख्या में गत वर्षों में काफी कमी हो गई है। इससे अब इस पक्षी को संकटग्रस्त सूची में शामिल कर लिया गया है। जिले में गत वर्षों से सारस की संख्या में कमी होती जा रही है। एक दशक पहले तक आद्रभूमि वाले इलाकों, तालाबों के पास 4-5 जोड़े व 25 से 30 सारसों का झुंड पाया जाता था। लेकिन अब हालात यह है कि काफी कम जगहों पर इक्का-दुक्का जोड़े ही देखने को मिलते है। ऐसे में इनकी संख्या में कमी होना पर्यावरण के लिहाज से ङ्क्षचता का विषय है। इन्टरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर जैसी संस्थाओं ने व्यवस्थित निरीक्षण कर सारस को 11 संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों की सूची में शामिल किया है। हालत में बदलाव नहीं होने पर निकट भविष्य में दुर्लभ या विलुप्ति की सम्भावनाएं नजर आती है।
भारत में चार प्रजातियां
विश्व में सारसों की 8 और भारत में 4 प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से एक भारतीय सारस क्रोंच और दूसरी ब्लेक नेप्ड क्रेन है। शेष कॉमन क्रेन कुरंजा और डिमॉइ•ाल क्रेन भारत में प्रवास पर आती है। साइबेरियन सारस वर्ष 2002 में लुप्त हो चुके हैं। यह पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है। भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यपदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल आदि राज्यो में पाया जाता है। विदेशों में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, नेपाल, म्यामांर, कम्बोडिया, वियतनाम में भी पाया जाता है।
एक बार ही बनाते है जोड़ा
गिद्धों की तरह लुप्त और दुर्लभ होते भारतीय सारस उडऩे वाले दुनिया के सबसे बड़े और ऊंचे पक्षी है। यह पक्षी प्रेमए, समर्पण और समृद्धि का प्रतीक है। कहा जाता है सारस जीवन मे एक बार एक ही साथी को चुनता है। पूरा जीवन एक ही जोड़े में जीवन व्यतीत करता है। मान्यता के अनुसार कभी जोड़े में से एक मर जाए तो दूसरा पक्षी भी उसके वियोग में कुछ दिनों बाद ही मर जाता है। या वह बाकी जीवन अकेले ही बिताता है। दूसरा जोड़ा नहीं बनाता है।मादा सारस देती है एक बार में तीन से चार अंडे
सारस में नर व मादा की पहचान थोड़ी कठिन होती है। मादा एक बार मे 3 से 4 अंडे तक देती है। यह अपना घोंसला पानी के बीच बड़े टापुओं पर दल-दल के बीच घांस के मैदानों में या अधिकतर खेतों में बनाता है। इसका घोंसला 2 मीटर तक चौड़ा हो सकता है। यह एक शाकाहारी पक्षी है और आकार में इतना बड़ा होने के बावजूद भी यह बहुत कम ही खाता है। विशेष रूप जे यह बड़े जलाशयों के किनारों, दलदली इलाकों व खेंतो में रहने वाला पक्षी है। मानसून के समय ये प्रजनन करते हैं उस वक्त नर व मादा दोनों साथ में नृत्य व अपनी दुंदुभी जैसी सुंदर आवाज से लय में गायन करते हैं। झुंड में 7-8 माह से लेकर 5 से 10 वर्ष तक के जुवेलिन या सब एडल्ट सारस रहते हैं। झुंड में वे तब तक रहते हैं जब तक कि उन्हें उनका साथी नहीं मिल जाता।गादोला तालाब पर दिखे सारस
जिले के तालाबों के किनारे सारस दिखाई देते है। लेकिन गादोला तालाब पर कई वर्षों से इनकी संख्या अच्छी मात्रा में देखी जा सकती है। इस वर्ष भी यहां आधा दर्जन की संख्या में दिखाई दिए है। इसके अलावा जिले में सुरक्षा के जलाशयों के किनारे भी सारस देखे जा सकते है।अधिकतम 18 वर्ष होता है जीवनकाल
इसकी ऊंचाई 5 से 6 फीट तक होती है। जबकि वजन 7 से 8 किलो तक होता है। इसके दोनों पंखों का फैलाव 2.5 मीटर तक हो सकता है। जीवन काल 18 वर्ष का होता है। अमुमन सर्दी में इनकी संख्या बढ़ जाती है। क्योंकि इस वक्त जोड़े के साथ उनके 2 से 3 बच्चे साथ होते हैं।
इको सिस्टम बचाना होगा
गत कुछ वर्षों से इको सिस्टम पर काफी असर हो रहा है। जिससे कई जीवों में कमी हो रही है। जिसका कारण कम होते वेटलैंड्स, तालाबों के किनारों पर अतिक्रमण, बढ़ते खेत, बढ़ते आधुनिकीकरण, पक्के निर्माण, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, शिकार, बिजली के तार से करंट लगना है। सोयाबीन की अनियंत्रित खेती से इको सिस्टम बर्बाद हो रहा है। सर्वे के अनुसार भारत में एक तिहाई आद्रभूमि क्षेत्र नष्ट हो चुका है। जागरूकता लाकर इको सिस्टम और सारस सहित पक्षियों को बचाया जाना चाहिए। मंगल मेहता, पर्यावणरविद्, प्रतापगढ़.
पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक
गत वर्षों से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में इको सिस्टम काफी प्रभावित हो रहा है। जैव विविधता पर काफी प्रभाव हो रहा है। इसके लिए हम सभी को पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाना होगा। अभी से चेतना होगा और सभी पहलुओं का ध्यान में रखकर संरक्षण के उपाय करने होंगे।
सुनील कुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़
Published on:
13 Jan 2023 08:30 am
बड़ी खबरें
View Allप्रतापगढ़
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
Pratapgarh: काले सोने की फसल में नई तकनीक की एंट्री; मल्चिंग, ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर का बढ़ा रुझान

