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मंदिरों में श्रृंगार-भोग का समय बदला, भगवान का देर से उठकर जल्दी शयन

मंदिरों में श्रृंगार-भोग का समय बदला, भगवान का देर से उठकर जल्दी शयन

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मंदिरों में श्रृंगार-भोग का समय बदला, भगवान का देर से उठकर जल्दी शयन

मंदिरों में श्रृंगार-भोग का समय बदला, भगवान का देर से उठकर जल्दी शयन

प्रतापगढ़. शहर सहित जिलेभर में शीतलहर का असर बढ़ता ही जा रहा है। सर्दी से बचने के लिए लोग अब अलाव का सहारा लेने लगे हैं। दोपहर को भी लोग गर्म कपड़े पहने नजर आने लगे हैं। वहीं सर्दी का असर बढ़ते ही मंदिरों में भगवान के श्रृंगार, भोग व आरती और शयन तक की दिनचर्या में बदलाव हो गया है। शहर के केशवरायजी मंदिर के पुजारी कन्हैयालाल शर्मा ने बताया कि सर्दी के साथ ही भगवान के श्रृंगार और भोग में बदलाव हुआ हैं। शहर के अन्य मंदिरों में भी भगवान को गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ भोग में परोसे जा रहे हैं। जिसमें बाजरे के खीचड़े, रेवड़ी, गजक, तिलपट्टी, गाजर का हलवा सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाने लगा हैं। वहीं भगवान को गुनगुने पानी से स्नान कराया जा रहा हैं। इसके साथ ही भगवान को सर्दी से बचाने के लिए कई मंदिरों में गर्भग्रह में हीटर लगाया जाता हैं। गले में मफलर और कंधे पर शाल धारण कराई जाने लगी है। सर्दी कम होने तक यह दिनचर्या नियमित रहेगी।
हर वर्ष सर्दी में हो जाता है समय परिर्वतन
पंडित कन्हैयालाल शर्मा ने बताया कि मंदिर में गर्मी व सर्दी के मौसम में सेवा-पूजा में परिवर्तन भी किया जाता है। जिसमें गर्मी के सुबह श्रृंगार व आरती सुबह साढ़े 6 से 7 के बीच में होती हैं। जिसके बाद शाम को 8 बजे तक आरती की जाती है। वहीं सर्दी के समय में सुबह का श्रंृगार 7 से 8 बजे तक किया जाता हैं। शाम को 6 से साढ़े 6 बजे तक पूजा आरती कर ली जाती हैं।
भगवान को पूजा जाता है मनुष्य रूप में
मंदिरों में भगवान को मनुष्य रूप में पूजा जाता है। इसलिए जैसे इंसान मौसम के अनुसार दिनचर्या में परिवर्तन करते हैं। वैसे ही ठाकुरजी के राज-भोग, श्रृंगार और दर्शन झांकी में बदलाव होता हैं।
अन्य कार्यक्रमों में भी बदलाव
मंदिरों में भगवान के श्रृंगार के साथ पूजा, आरती के समय के बदलाव के साथ अन्य कार्यक्रमों में भी बदलाव होता हैं। मंदिरों में होने वाले भजन, सुंदरकांड पाठ सहित अन्य कई आयोजन अब शाम को 7 से 8 बजे तक ही होते है, जिसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।