
महंत नरेंद्र गिरी महाराज का हुआ निधन
प्रयागराज.Mahant Narendra Giri Death- अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का संदिग्ध परिस्थितियों में श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में निधन हो गया है। मठ के लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही है। मठ में उनका शव फंदे से लटका मिला है। पहली नजर में पुलिस इसे खुदकुशी मान रही है। हाल ही में अखाड़े की संपत्तियों को लेकर विवाद सामने आया था। इसके पहले आठ जुलाई को जब महंत महेंद्र गिरि लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर प्रयागराज लौट रहे थे तब उनकी इनोवा गाड़ी का एक्सीडेंट लखनऊ-सुलतानपुर हाइवे पर हो गया था। इसमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत गिरि और महामंत्री महंत हरि गिरि बाल-बाल बचे थे।
विवाद के पीछे संपत्ति
कुछ माह पहले महंत नरेंद्र गिरि और निरंजनी अखाड़े से जुड़े आनंद गिरि से महंत का विवाद सामने आया था। तब जमीन घोटाले के एक मामले को लेकर महंत महेंद्र गिरि ने आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़े से बाहर कर दिया था। हालांकि कुछ दिनों बाद उन्हों आनंद गिरि को माफ करते हुए फिर से निरंजनी अखाड़े में ले लिया था। आनंद गिरि को इनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
आनंद गिरि ने लगाए थे संगीन आरोप
विवाद के समय स्वामी आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि अखाड़े से जुड़े आशीष गिरि नामक सख्श की स्वभाविक मौत नहीं थी। 2019 में हुई निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत हो गयी थी। योग गुरु स्वामी आनंद गिरि और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच इस मामले को लेकर तब खूब आरोप प्रत्यारोप सामने आए थे। तब आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि जमीन घोटाला करके अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने ऐसा माहौल बनाया कि महंत आशीष गिरि की लाश कमरे में मिली। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी। आनंद गिरि से विवाद की वजह तब मठ बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप था। महंत नरेंद्र गिरि का आरोप था कि आनंद गिरि यहां पेट्रोल पंप खोलना चाहते थे।
सपा से था जुड़ाव
स्वामी नरेंद्र गिरि का समाजवादी पार्टी से जुड़ाव रहा है। बाघंबरी गद्दी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के प्रबंधन का दायित्व भी मंहत नरेंद्र गिरि के जिम्मे था। अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। कहा कि ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।
13 अखाड़ों की परिषद ने चुना था अध्यक्ष
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है। महंत नरेंद्र गिरि इसके दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे। अखाड़ा परिषद ही एक तरह से महा मंडलेश्वर और बाबाओं को सर्टिफिकेट देती है। कुंभ मेलों में कौन अखाड़ा कब और किस समय स्नान करेगा यह अखाड़ा परिषद ही तय करती है। देश के 13 अखाड़ों के जिम्मे एक तरह से हिंदू धर्म की रक्षा का भार है। कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान अखाड़ों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं। सनातन धर्म की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। तब बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ की स्थापना की थी। इसी समय युवा साधुओं के लिए मठ या अखाड़ों की स्थापना हुई। मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पडऩे पर इन अखाड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल देश में कुल 13 अखाड़े हैं। 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। ये सभी 13 अखाड़े तीन मतों में बंटे हुए हैं।
Updated on:
20 Sept 2021 08:27 pm
Published on:
20 Sept 2021 06:51 pm
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