Allahabad High Court: यह मामला वर्ष 2017 का है, जब सहारनपुर के देवबंद थाना क्षेत्र निवासी नदीम ने अपने पांच वर्षीय बेटे मोहम्मद जैद के लापता होने की रिपोर्ट अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराई थी। बाद में नदीम ने एक और तहरीर देकर आरोप लगाया कि उसके सहकर्मी अहसान और नौशाद ने उसके बेटे का अपहरण कर हत्या कर दी है। अगले दिन जैद का शव एक गन्ने के खेत से बरामद हुआ, और पोस्टमार्टम में मौत का कारण डूबने से दम घुटना बताया गया।
ट्रायल कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने यह पाया कि इस मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और अभियोजन द्वारा प्रस्तुत परिस्थितिजन्य साक्ष्य श्रृंखला पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं थी।
कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि शव की बरामदगी के दो दिन बाद तैयार किए गए साइट प्लान में खेत में पानी की उपस्थिति का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि मृत्यु का कारण डूबना दर्शाया गया था। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष द्वारा पेश की गई सीसीटीवी फुटेज भी संदेहास्पद पाई गई, क्योंकि फुटेज देने वाले व्यक्ति से पूछताछ नहीं हुई थी और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
कोर्ट ने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के अपराध का कोई स्पष्ट उद्देश्य साबित नहीं कर सका। इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया और उनकी सजा को रद्द कर दिया।
Updated on:
17 Jun 2025 11:36 pm
Published on:
17 Jun 2025 11:35 pm