
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी न करने की गाइडलाइंस का पालन करने का दिया निर्देश
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सात साल तक की सजा वाले आरोपों के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन किया जाए। कोर्ट ने कहा कि याची के मामले में भी सात साल तक की सजा वाले अपराध के आरोपियों की गिरफ्तारी न करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश लागू होंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने मऊ के लालता प्रसाद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। इनका कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया है इसलिए 17 जून 22 को मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज एफ आई आर रद किया जाए।याची पर लोक संपत्ति निवारण कानून व दंड संहिता के तहत अपराधों के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई गई है।
यह भी कहना था कि धारा 41ए के अनुसार तथा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को देखते हुए सात साल तक के सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश है।जिसका पालन कराया जाय।
एक जुलाई 22 को कोर्ट संख्या पांच में लगभग आठ सौ नये केस लिस्ट किये गए हैं। एक कोर्ट अधिकतम सौ केस ही सुने पाती है। इसी तरह से अन्य कोर्टों में भारी संख्या में मुकद्दमे लगाना और अंदर में छोड़ देने से अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। अधिवक्ता संगठनों ने कहा है कि यदि 4जुलाई सेनियमित व्यवस्था नहीं अपनाई गई तो अधिवक्ता आंदोलन के लिए विवश होंगे।
Published on:
03 Jul 2022 09:26 am
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