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इलाहाबाद युनिवर्सिटी के शोध छात्र का ऐलान, दीक्षांत समारोह में नहीं लूंगा डिग्री, लिखा भूल जाउंगा कभी यहां से डॉक्टरेट किया

डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी के छात्र ध्रुव कुमार सिंह ‘हर्ष’ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से जतायी नाराजगी। लगातार बड़ा होता जा रहा है इलाहाबाद विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह का विवाद। डीजीपी ओपी सिंह को दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि देने से शुरू हुआ है विवाद।

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Allahabad University Convocation Dispute

इलाहाबाद विश्वविद्यालय शोध छात्र ध्रुव कुमार सिंह

प्रयागराज. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह को लेकर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है । एक तरफ जहां पूर्व शिक्षक खुलकर विश्वविद्यालय के प्रशासन के खिलाफ बोल रहे हैं । तो वही दीक्षांत समारोह में सम्मानित होने वाले एक छात्र ध्रुव हर्ष ने अपनी डॉक्टरेट की डिग्री लेने से इंकार कर दिया है। ध्रुव ने सोशल मीडिया पर एक पत्र लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन से दीक्षांत समारोह में न सम्मिलित होने की बात कही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र के बाद पत्रिका ने ध्रुव हर्ष से बात की हर्ष ने बताया कि विश्वविद्यालय में जिस तरह से निर्णय लिए जा रहे हैं उससे वह आहात हैं। कहा की उन्हें नामित के बाद भी आधिकारिक तौर पर बताया नहीं गया। किसी और के जरिये उन्हें मालूम चला कि उनका नाम दीक्षांत समारोह में सम्मानित होने वाले छात्रों में है। ध्रुव को इस पर भी आपत्ति है कि बतौर मुख्य अतिथि बुलाए गए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी समय अभाव के चलते महज कुछ लोगों को ही सम्मानित करेंगे, जिससे वह आहत हैं।

ध्रुव कुमार सिंह का फेसबुक पोस्ट IMAGE CREDIT:

ध्रुव कुमा सिंह की पत्र

मैं अपनी डॉक्टरेट की डिग्री का त्याग क्यों करता हूं

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र
मैं ध्रुव हर्ष, मेरा आधिकारिक नाम ध्रुव कुमार सिंह पुत्र श्री अजय सिंह है। जैसा कि मैंने 2011 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परास्नातक अंग्रेजी के छात्र के रूप में नामांकित किया था। इसके बाद मैंने ‘महाभारत इन द कंटेम्पररी इंडियन इंग्लिश नॉवेल’ विषय पर इंग्लिश में डी फील किया। मैंने अपने अंतिम सबमिशन वाइवा के बाद सकारात्मक रिपोर्ट के साथ 2016-17 के वर्ष में संकलित किया है। दो दिन पहले मेरे एक जूनियर ने दीक्षांत समारोह के बारे में मुझे बताया जो की 5 सितंबर को होने जा रहा है। हालाँकि इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन के किसी भी सदस्य का कोई आधिकारिक फोन मेरे पास नहीं आया और डाक्टर ऑफ फिलॉसफी के छात्रों को नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी जी द्वारा सम्मानित किया जाएगा और आज मैंने जाना कि श्री सत्यार्थी के पास डॉ ऑफ फिलॉसफी के प्रत्येक छात्र को सम्मानित करने के लिए समय नहीं होगा जबकि डॉक्टोरल छात्रों की संख्या काफी कम है ।

लेकिन उन लोगों के लिए जिन्होंने अपनी कक्षाओं में टॉप किया है गोल्ड मेडल अर्जित किया है, सत्यार्थी जी केवल उन्हें तथा उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को सम्मानित करेंगे। एक पूर्व छात्र जिनका विश्वविद्यालय के साथ! कभी उतना जुड़ाव नहीं रहा है। उन्होंने कभी भी छात्रावास वाशआउट के मामले में छात्रों का समर्थन नहीं किया। जब छात्र कठिन समय से गुजर रहे थे तब उनके साथ नहीं खड़े थे और अब उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा।

अच्छा डी फील करने वाले स्कॉलर्स को जब डीन और प्रॉक्टर डिग्री देंगे तो ऐसे डी फिल की उपाधि या कॉन्वोकेशन और अगर कहूं तो डिग्री का भी। कुलपति जी ने अपने लाभ के लिए संभवतः सब कुछ किया है, लेकिन छात्रों के कल्याण और शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में कभी नहीं सोचा। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय को पतन के गर्त तक ले जाने के लिए कुलपति ही जिम्मेदार हैं। यह मेरे लिये काफी निराशाजनक है, क्योंकि मैंने विविध क्षेत्रों में काम किया है और दुनिया भर में अपने काम के जरिए कुछ अच्छा प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा हूं। इसलिए बिना किसी दुख के मैं व्यक्तिगत रूप से उस सम्मान का त्याग करता हूं। मुझे नहीं पता, मैं उस सम्मान के योग्य हूं भी या नहीं और इसके अलावा मैं यह कभी उल्लेख नहीं करूंगा कि मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में डीफिल किया है। बहरहाल मैं अपने विश्वविद्यालय, दोस्तों हॉस्टल के साथी और प्रोफेसरों से प्यार करता रहूंगा।

आपका ध्रुव हर्ष।

By Prasoon Pandey