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असद एनकाउंटर केस बना सियासी मुद्दा, आखिर क्या साबित करना चाहता है विपक्ष?

Asad Encounter: असद एनकाउंटर केस में अब सियासी जंग छिड़ गई है। विपक्षी पार्टियां इसे सियासी मुद्दा बना रही हैं। इसके पीछे का संदेश क्या है, आइए जानते हैं…

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Asad Encounter

उत्तर प्रदेश के तीनों सियासी दल कांग्रेस, बसपा और सपा असद के एनकाउंटर को लेकर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जहां एक तरफ बीजेपी के नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ की तारीफ कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी असद के एनकाउंटर को सियासी मुद्दा बना रही है।

एनकाउंटर पर छिड़ी सियासी जंग
एनकाउंटर के बाद यूपी के डिप्टी CM और भाजपा के वरिष्ठ नेता केशव प्रसाद मौर्य ने UP STF की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यूपी पुलिस की यह बहुत ही ऐतिहासिक कार्रवाई है। यह एक बहुत बड़ा संदेश है कि अपराधियों का युग समाप्त हो गया है और अपराधियों को आत्मसमर्पण करना होगा।” इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर BJP पर पलटवार किया और असद के एनकाउंटर को फेक एनकाउंटर बताया।

“बीजेपी चुनाव को ध्यान में रखकर एनकाउंटर कर रही”
आज अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में मीडिया से बातचीत की और दावा किया कि BJP ये सब सिर्फ निकाय चुनाव ले लिए कर रही है। उन्होंने कहा, “बीजेपी चुनाव को ध्यान में रखकर एनकाउंटर कर रही है। मैं बीजपी से पूछना चाहता हूं जिस बुलडोजर, अधिकारी और प्रशासन ने एक ब्राह्मण मां और बेटी को आग लगा दी, उन्हें मिट्टी में क्यों नहीं मिलाया गया? यूपी पुलिस के पास सबसे ज्यादा फेक एनकाउंटर के नोटिस क्यों आते हैं?”



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विकास दुबे कांड का चुनाव पर असर

कानपुर में दो जुलाई 2020 को आठ पुलिसवालों को मारने वाला गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर हो गया। बीते 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी इस मुद्दे पर सियासत हुई। दावा किया जा रहा था कि ब्राह्मण वर्ग के लोग BJP से नाराज हैं, लेकिन इन सब आशंकाओं को चुनाव के नतीजे ने झूठा साबित कर दिया। BJP को कानपुर और आसपास के जिलों में भरपूर समर्थन मिला। पार्टी ने कानपुर नगर की 10 में से 10 सीटें जीती और पूरे कानपुर मंडल में 26 में से 19 पर जीत दर्ज की।