
दीपक पटेल
इलाहाबाद. बहुजन समाज पार्टी में मची भगदड़ के साथ ही पार्टी हाई कमान भी सख्त तेवर में है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी में चल रही राजनीतिक भगदड़ और हलचल अभी भी सामान्य नहीं हो पाई है। बीते दिनों इलाहाबाद से बहुजन समाज पार्टी के चार बार विधायक रहे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर लंबे समय तक कार्य करने वाले इंद्रजीत सरोज ने पार्टी को छोड़ कर एक और बार तगड़ा झटका दिया था। अब इसके बाद से ही जिले में इस बात की चर्चा थी कि अभी और कई बड़े नाम हैं, जो पार्टी छोड़ सकते हैं । बुधवार को बसपा जिला अध्यक्ष अवधेश कुमार गुप्ता ने एक पत्र जारी कर अपने पूर्व विधायक सहित एक वरिष्ठ नेता को पार्टी से निकालने की सूचना जारी की ।
बसपा ने जिन नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया उसमें पूर्व में चार बार जिला पंचायत अध्यक्ष रही केसरी देवी पटेल और उनके बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल शामिल हैं। बसपा के जिला अध्यक्ष अवधेश कुमार गौतम का कहना है कि पार्टी के हाईकमान के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है। लगातार पार्टी के कार्यक्रमों से इन की दूरी और बहन जी के आदेशों को अनदेखा करना दीपक पटेल और उनकी मां केशर देवी पटेल के लिए भारी पड़ा। दीपक पटेल बहुजन समाज पार्टी में मंडल से बड़े नेता माने जाते रहे। दीपक पटेल और उनकी मां कैसे देवी पटेल का सीधे बसपा सुप्रीमो तक इनकी पहुंच थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में दीपक पटेल करछना से बसपा के प्रत्याशी थे। पार्टी के जिला अध्यक्ष गौतम ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव के बाद से उनकी मां पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और बसपा के पूर्व लोकसभा प्रत्यासी केसरी देवी पटेल और पूर्व विधायक दीपक पटेल लगातार पार्टी की विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा लगातार इनके यहां हो रही थी और पार्टी सुप्रीमो के खिलाफ इन की बयानबाजी से कार्यकर्ता नाराज थे, जिसकी जानकारी और शिकायत लगातार बहन जी को मिल रही थी।
अतीक के खिलाफ लड़ा था चुनाव
केशरी देवी पटेल और दीपक पटेल मूलतः शंकरगढ़ के रहने वाले हैं । शंकरगढ़ के जमींदार परिवार से इनका ताल्लुक है, यह आज भी कई सौ एकड़ जमीन के मालिक हैं। शहर में पुलिस लाइन के सामने लाल पत्थर वाले बंगले के नाम से इनका का घर जाना जाता है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसरी देवी पटेल 2004 में भारतीय जनता पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हुई थी उस समय संसदीय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने इन्हें फूलपुर से अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था । इस चुनाव में केशरी देवी पटेल 2 लाख 35 हजार वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही। फिर 2014 में बसपा के टिकट से इलाहाबाद संसदीय सीट पर उतरी लेकिन एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा के दिग्गज नेता को दी थी चुनौती
2004 में दीपक पटेल अपनी मां के साथ बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।दीपक 2007 में विधानसभा चुनाव के दरमियान बारा विधानसभा सीट से बसपा के प्रत्याशी बनाए गए।और भाजपा के दिग्गज नेता को जोर दार टक्कर दी ।भाजपा के नेता उदय भान करवरिया से मात्र बारह सौ वोटों से हार गए थे। फिर 2012 के चुनाव में बसपा ने दीपक को बसपा ने करछना विधानसभा से मैदान में उतारा और दीपक पटेल ने समाजवादी पार्टी के पारंपरिक सीट पर दिग्गज सांसद रेवती रमण के बेटे उज्जवल रमण को भारी वोटों से हराया और विधानसभा पहुंचे 2017 में भाजपा की लहर में करछना विधानसभा सीट पर एक बार फिर दीपक पटेल ने जोरदार टक्कर दी। और दूसरे नंबर पर रहे इस बार हालांकि यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में हैं।
केसरी देवी चार बार रही जिलापंचायत अध्यक्ष
केसरी देवी और दीपक पटेल का अपना वोट बैंक बहुत मजबूत माना जाता है ।फूलपुर लोकसभा से लगातार कार्यकर्ताओं की मांग रही है। कि केशरी देवी को फूलपुर से प्रत्याशी बनाया जाए।केशरी देवी पटेल भारतीय जनता पार्टी में 1996 से 2004 तक सक्रिय सदस्य की तरह इन्होने काम किया। एक बार भारतीय जनता पार्टी एक बार निर्दलीय और दो चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई। दीपक पटेल और केसरी देवी पटेल के खिलाफ पार्टी किस कार्रवाई से बहुत से कार्यकर्ता नाराज हैं। और यह माना जा रहा है कि इनकी जाति के और उनसे जुड़े हुए सैकड़ों की संख्या में नेता पार्टी से अपना इस्तीफा देंगे।
पैसा मांगने का लगाया आरोप
पूर्व विधायक दीपक पटेल ने पत्रिका से बात की और बताया कि बहन जी के सारे आदेशों के मानने के बाद भी सिर्फ उनके पैसों की मांग को मैं पूरी नहीं कर पाया। दीपक पटेल के अनुसार 10 अगस्त को लखनऊ में हुई बैठक में पार्टी सुप्रीमो मायावती के सामने दीपक पटेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं के निष्क्रियता पर सवाल उठाए और कहा कि जिले में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतरना चाहिए। लेकिन बहन जी ने कार्यकर्ताओं को साफ मना कर दिया। कि किसी भी धरना प्रदर्शन में कोई भी कार्यकर्ता शामिल नहीं होगा। दीपक ने बताया कि बहन जी ने पूरी बैठक में सिर्फ पैसों की बातों पर जोर दिया और उन्होंने कहा कि पन्द्रह लाख पार्टी फंड में जमा करो ।
सरकार के खिलाफ कोई भी विरोध नहीं करेगा
मैंने बहन जी से कहा की सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कार्यकर्ताओं को और नेताओं को सड़क पर उतरना होगा। धरना प्रदर्शन या विरोध प्रदर्शन सरकार के काम में हो रही गड़बड़ियों को सामने लाने के लिए क्यों रोका जा रहा है। जिस पर बहन जी ने अपनी नाराजगी जताई ।और कहा कि जो कहा जा रहा है वह करें।और मेरी सारी बातों को अनदेखा करके बहन जिन्हें 1500000 रुपए जमा कराने का दबाव बनाया। और मैंने मेरे मना करने पर वह मुझसे नाराज हो गई। जिस पर में बैठक छोड़कर चला आया था। यही कह सकता हूं कि पार्टी फंड में पैसे नहीं देने के कारण हमारे ऊपर कार्रवाई हुई है और ऐसा मेरे साथ ही नहीं हुआ है। बीते 4 महीनों में कई नेताओं ने पैसे ना देने का परिणाम रुकता है मैं भी उसी श्रेणी में है।
Published on:
25 Aug 2017 03:18 pm
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