
जस्टिस एस एन शुक्ला
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। भ्रष्टाचार के आरोप में जनवरी 18 से चीफ जस्टिस ने न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा रखी है। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस शुक्ल को पद से हटाने का अनुरोध किया था। अब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी इन्हें हटाने के लिए जून 19 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
इसी बीच सीबीआई निदेशक ने मुख्य न्यायाधीश गोगोई से जस्टिस शुक्ल के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी। जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी है। अब मेडिकल कॉलेज में सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद न्यायमूर्ति आई.एम. कुद्दुशी तथा न्यायमूर्ति एस.एन. शुक्ल की खंडपीठ ने एक प्राइवेट कालेज को फायदा पहुंचाते हुए छात्रों के 2017 -18 सत्र में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश की अनुमति दी जिसमें जस्टिस कुद्दुशी पर कार्यवाही हुई।
2017 में प्रदेश के महाधिवक्ता की भारत के मुख्य न्यायाधीश को की गयी शिकायत पर मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंदिरा जयसिंह, सिक्किम के मुख्य न्यायाधीश एस के अग्निहोत्री एवं एमपी के मुख्य न्यायाधीश पी.के. जायसवाल की इन हाउस कमेटी ने जांच की और जस्टिस शुक्ल को भ्रष्टाचार का दोषी पाया। जस्टिस शुक्ल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। कुछ समय बाद लखनऊ पीठ में वकालत करने लगे और वही से न्यायाधीश बने। मेडिकल प्रवेश घोटाले के आरोप के चलते अब सीबीआई जांच का आदेश हुआ है।
BY- Court Corrospondence
Published on:
31 Jul 2019 10:03 pm
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