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Shri Krishna Janmashtami: छोटी काशी में छोटा वृंदावन, जहां होती है जन्माष्टमी पर भव्य पूजा, देखें तस्वीरें

फ़तेहपुर के एक गांव में मीराबाई ने स्थापित की थीं गिरधर गोपाल की मूर्ति, जन्माष्टमी में उमड़ता है भक्तों का जनसैलाब, आइए जानते है मन्दिर के महंत नंदगोपाल ने क्या कुछ कहा।

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Shri Krishna Janmashtami: फतेहपुर में जिले के गंगा तट पर सैकड़ों वर्षों से गिरधर गोपाल का भव्य मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में जन्माष्ठमी के पावन पर्व पर जनपद सहित प्रदेश और गैर प्रान्त के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर गिरधर गोपाल की दीवानी मीराबाई वृंदावन जाते समय इस छोटे से गांव में प्राचीन काल के मंदिरों को देखकर प्रवास किया था और साथ मे श्री कृष्ण की मूर्ति भी लाईं थी। जाते समय जब मूर्ति को ले जाने के लिए उठाने लगी तो मूर्ति नही उठी। तब मीरा ने मूर्ति को गंगा तट पर ही स्थापित कर दिया था। जहाँ पर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं। आज उस स्थान पर भव्य मंदिर का बना हुआ है।

छोटी काशी के नाम से प्रख्यात है गांव

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मलवां ब्लॉक के चौडगरा कस्बे के उत्तर गंगा तट पर स्थित शिवराजपुर गांव छोटी काशी के नाम से प्रख्यात है। पुराणों में यह गांव आदि काशी के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण भक्ति में लीन मीराबाई काफी समय तक प्रवास कर अपने साथ लाई गिरधर गोपाल की मूर्ति की स्थापना कर यहां से चली गयी थीं। उसी स्थान पर आज भव्य प्राचीन मंदिर बना है।

मनोकामना के लिए जुटती है भक्तों की भीड़

प्राचीन काल से शिवराजपुर गांव मंदिरों की नगरी के रूप में जाना जाता है। गंगा के तट पर स्थित इस स्थान पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। भक्त अपनी-अपनी मनोकामना के लिए यहां मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए आते हैं।

काफी समय तक इस छोटी सी नगरी में मीरा ने किया था प्रवास

ऐसी मान्यता है कि मध्यकाल में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन मीराबाई वृंदावन जाते समय इस पवित्र नगरी में आई थीं। मंदिरों को देख कर यहाँ काफी समय तक प्रवास किया। वहीं अपने साथ लाई गिरधर गोपाल की मूर्ति को यहां स्थापित किया था। मूर्ति आज भी विराजमान है। यहां हर वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर जिले के अलावा अन्य जनपदों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।

मूर्ति नही उठी तो गंगा तट पर ही कर दिया स्थापित: महंत नंदगोपाल

मंदिर के महंत नंदगोपाल महाराज ने बताया कि कृष्ण भक्त मीराबाई जब यहां आई थी तो अपने साथ लाईं कृष्ण की मूर्ति को उन्होंने एक जगह रख दिया था। जब मीरा बाई यहां से जाने लगी तो उन्होंने मूर्ति को साथ ले जाने का प्रयास किया लेकिन मूर्ति अपने स्थान से नहीं उठी। तब मीराबाई ने गंगा के तट पर गिरधर गोपाल की मूर्ति स्थापित करके कृष्ण गान करते हुए चली गई थी। उसके बाद इसी स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। गांव में आज भी कई प्राचीन मन्दिर हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान को तीर्थ स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

कार्तिक पूर्णिमा में लगता है एक सप्ताह तक मेला, गैर प्रान्त से आते लोग

ग्राम प्रधान सूरजपाल यादव ने बताया कि यहां प्राचीन काल से कार्तिक पूर्णिमा में मेला लगता है। जो सात दिनों तक अनावरत करहत है। इस ऐतिहासिक मेले में आसपास के अलावा प्रदेश और गैर प्रान्त से भी लोग आते हैं।