
Allahabad High Court: जजों को बेईमान और संविधान का हत्यारा बताने वाले कोर्ट लिपिक नैनी जेल से पेश
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की जिला अदालत में लिपिक रहे विक्रम शर्मा के खिलाफ आपराधिक अवमानना का आरोप निर्मित कर चार दिन में सफाई मांगी है। शर्मा पर आरोप है कि वह देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायधीश को 15 दिसंबर 16 को शो काज नोटिस बनाम अली जामिन के हवाले से पत्र लिखा कि बुलंदशहर जिला कोर्ट के सभी जज व कर्मचारी बेईमान हैं।
उन्होंने संविधान की हत्या की है। वह 125 करोड़ लोगों का प्रतिनिधि बताया और कहा कि उसके सहयोगियों का उत्पीडन किया जा रहा है। मामले में 1 जनवरी कक एसएसपी को शिकायती पत्र भेजा कि सविंधान जलाकर राख सविंधान की हत्या के जिम्मेदार लोगों को भेजा जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को नैनी जेल से कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल प्राधिकारियों को आदेश दिया है कि अधिवक्ता को नियमानुसार शर्मा से मिलने दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार व न्यायमूर्ति यूसी शर्मा की खंडपीठ ने विक्रम शर्मा के खिलाफ चल रही आपराधिक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में हाईकोर्ट के अधिवक्ता मेहरोत्रा ने इसका विरोध किया और कहा इसके आचरण को देखते हुए माफी वास्तविक नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने अवमानना आरोप निर्मित कर कारण बताओ नोटिस तामील किया कि क्यों न अवमानना कार्यवाही की जाए। याचिका की सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
कोर्ट ने शर्मा को अदालत में समर्पण करने का निर्देश दिया था। कहा था कि समर्पण न करने पर जनपद न्यायाधीश बुलंदशहर धारा 82/83 के तहत कुर्की, जब्ती की कार्यवाही जैसे कड़े कदम उठाते हुए अभिरक्षा में लेकर कोर्ट में पेशी सुनिश्चित करें। कोर्ट ने एसएसपी बुलंदशहर को भी आदेश का पालन करने का निर्देश दिया था।
Published on:
02 Apr 2022 12:08 am
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