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मुख्य न्यायाधीश से काजलिस्ट छापने व वितरित कराने का आदेश जारी करने की मांग

वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी का कहना है कि मुकदमे कोर्ट में लगाने और उसकी पहले से जानकारी देने का हाईकोर्ट प्रशासन कि वैधानिक जिम्मेदारी है।काजलिस्ट न छपने के कारण लोगों को मुकद्दमो की जानकारी नहीं हो पा रही है। केंद्र सरकार के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार चटर्जी वह अशोक सिंह ने कहा कि विगत दो दिनों से इन लाइन काजलिस्ट नहीं खुल रही है।

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मुख्य न्यायाधीश से काजलिस्ट छापने व वितरित कराने का आदेश जारी करने की मांग

मुख्य न्यायाधीश से काजलिस्ट छापने व वितरित कराने का आदेश जारी करने की मांग

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कोरोना काल से रूकी काजलिस्ट छापना शुरू करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग ने मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को पत्र लिखकर आम वकीलों व अधिवक्ता लिपिकों को हो रही भारी दिक्कतों को देखते हुए काजलिस्ट का वितरण किए जाने का अनुरोध किया गया है।

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वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी का कहना है कि मुकदमे कोर्ट में लगाने और उसकी पहले से जानकारी देने का हाईकोर्ट प्रशासन कि वैधानिक जिम्मेदारी है।काजलिस्ट न छपने के कारण लोगों को मुकद्दमो की जानकारी नहीं हो पा रही है। केंद्र सरकार के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार चटर्जी वह अशोक सिंह ने कहा कि विगत दो दिनों से इन लाइन काजलिस्ट नहीं खुल रही है।

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काजलिस्ट छपने से वकीलों को एक दिन पहले कोर्ट में लगे मुकद्दमों की जानकारी हो जाती थी और वह तैयारी कर कोर्ट में पक्ष रख सकते थे। अतुल कुमार पाण्डेय, संतोष कुमार मिश्र, प्रशांत सिंह रिंकू, उदय शंकर तिवारी शरद चंद्र मिश्र, रमेश चंद्र शुक्ल आदि तमाम अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के सिस्टम की खामियों के चलते काजलिस्ट के वितरण की मांग की है।

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कोर्ट ने इसे प्रथमदृष्टया गलत करार दिया है और शिक्षा निदेशक बेसिक उ प्र लखनऊ डा सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने या स्वयं हाजिर होकर सफाई देने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 12अप्रैल को होगी।