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अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का पुनर्निधारण का डीएम को अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

केवल लिपिकीय त्रुटियों को ही सुधार सकता

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DM not empowered to reschedule compensation of acquired land

अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का पुनर्निधारण का डी एम को अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक बार अधिगृहीत भूमि के मुआवजे का निर्धारण होने के बाद जिलाधिकारी को मुआवजे के पुनर्निधारण का अधिकार नहीं है। वह केवल लिपिकीय त्रुटियों को ही सुधार सकता है।

कोर्ट ने अधिनियम की धारा 3जी 5 के तहत विवाद को पंचाट आर्बीट्रेशन के समक्ष हल करने के लिए ले जाने का आदेश दिया है और निर्णय होने तक जमीन की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है यह आदेश न्यायमूर्ति बी के नारायण तथा न्यायमूर्ति आर एन तिलहरी की खंडपीठ ने सिराथू कौशाम्बी के सीताराम व 47 अन्य सहित आधे दर्जन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने पूर्व में 5500 रूपये प्रति वर्ग मीटर की दर से तय मुआवजे को 780 रूपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित करने के जिलाधिकारी के आदेशों को रद्द कर दिया है।

सिराथू तहसील के गांव ककोराए नौरिया करैती, व कसिया के किसानो की भूमि राजमार्ग चौडीकरण के लिए अधिगृहीत की गयी। एक बार तय मुआवजे को घटा दिया गया था । जिसे चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को मुआवजा कम करने का अधिकार नहीं है। यदि कोई असंतुष्ट हैं तो मामले को पंचाट के समक्ष ले जा सकता है। प्राधिकरण का कहना था कि पहले गलती से कृषि भूमि का मुआवजा हेक्टेयर के बजाय वर्ग मीटर की दर से तय कर लिया गया।जिसे दुरूस्त किया गया है। पुनर्निधारण नही किया गया है। कोर्ट ने इस तर्क को सही नही माना और जारी अवार्ड रद्द कर दिया है।