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प्रयागराज: दानपत्र से ली गई संपत्ति को पांच वर्ष तक नहीं कर सकते दान

पहुंच रहे हैं। दानपत्र से ली गई संपत्ति को पांच साल तक दोबारा दान नहीं किया जा सकता है।

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प्रयागराज। करछना तहसील के सब रजिस्ट्रार नीरज पांडेय ने बताया कि दान की जाने वाली संपत्तियों की जियो टैगिंग अनिवार्य कर दी गई है। इसके पूर्व के दान पत्र में ऐसा नियम नहीं था। वहीं दान ली गई संपत्ति को पांच साल तक दान नहीं किया जा सकेगा। प्रदेश सरकार की ओर से दान पत्र योजना शुरू की गई है। इस बार आखिरी तारीख निश्चित नहीं की गई है। जानकार मान रहे हैं कि यह योजना आगे चलती रहेगी। हालांकि व्यवस्था में कई संसोधन किए गए हैं।

रक्त संबंधियों के लिए है यह योजना
रक्त संबंधियों को दान देने और लेने की प्रक्रिया पुराने नियमों के आधार पर है। एक बार जिस संपत्ति को दानपत्र के माध्यम से ले लिया जाएगा, उसे पांच साल तक दोबारा दान नहीं किया जा सकता है। इसी तरह औद्योगिक और व्यावसायिक संपत्तियों का दान भी नहीं किया जा सकेगा। दानपत्र करते समय ही रक्त संबंधों का प्रमाण पत्र भी अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें परिवार के सदस्यों माता, पिता, पत्नी, बेटा, बेटी, दामाद, भाई, बहन, पुत्री व पुत्र के बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा भाई की विधवा पत्नी अर्थात भयाहू को भी दान पत्र दिया जा सकेगा।

लोगों के लिए वरदान बना दानपत्र
दानपत्र के लिए आए करछना के हिनौता महोरी रीवा के राजेश सिंह ने बताया कि वह अपने सगे भाई उमाशंकर को मकान दे रहे हैं। काफी दिनों से उन्हें हिस्सा देना था लेकिन पैसे के अभाव में प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में अब समस्या का समाधान सस्ते में हो गया। इसी तरह धनुहा नैनी की केवला देवी ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्री पुष्पा देवी को एक प्लाट दिया है। बेटी के भविष्य की चिंता थी। सरकार के दानपत्र के माध्यम से यह समस्या भी खत्म हो गई।