
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के कोर्स को-ऑर्डिनेटर और लेखक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने पूर्व राज्यपाल पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया। उनकी मुलाकात के समय को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी।
डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा, "यूं तो कई रोचक किस्से उनसे हुई मुलाकातों के हैं, लेकिन हर बार उनका यह पूछना, "और नया का लिख रहे हो', मुझे बहुत भाता था। दरअसल वे स्वयं एक बेहतरीन रचनाकार थे।
"नई पीढ़ी के लोग क्या रच रहे हैं, शिकायती अंदाज में कहने से नहीं चूकते थे"
उनकी रुचि यह जानने में रहती थी कि नई पीढ़ी के लोग क्या रच रहे हैं? कभी कभी भी शिकायती अंदाज में यह कहने से नहीं चूकते, "लग रहा है आजकल मामला सन्नाटे में है, कुछ नया पढ़ने को नहीं मिल रहा है।" जब वे विधानसभा अध्यक्ष हो गए और उनकी व्यस्तता बढ़ गई। उन दिनों हम उनसे मिलने जब भी लखनऊ गए, वे तत्काल मिलने को आतुर हो जाते।
जब केशरी नाथ ने कहा-तुम बुलाए भी तो नहीं
एक बार त्रिपाठी जी से मने शिकायत की कि - बहुत दिन हुआ आप क्षेत्र में आए नहीं, तो वे हंस कर बोले- तुम लोग बुलाए भी तो नहीं। उनके इसी अंदाज के सभी कायल रहते थे। वे कवि हृदय होने के कारण बहुत ही संवेदनशील नेता थे। हर किसी की सहायता करने, उसे संबल देने और कुछ बेहतर करने को प्रेरित करना उनका प्रिय शगल रहता था। उनका जाना एक और रचनाधर्मी और संवेदनशील राजनीतिज्ञ जाना है, जिनकी इस समय हमें बहुत जरूरत है।
केशरी नाथ त्रिपाठी का लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में त्रिपाठी का झंडा चार दशकों तक बुलंद रहा। 1934 में जन्मे त्रिपाठी 1946 स्वयंसेवक संघ स्वयंसेवक बनें ।1952 में भारतीय जनसंघ में कार्यकर्ता की तरह जुड़े और काम शुरू किया। कश्मीर आंदोलन में भाग लेते हुए जेल की सजा काटी। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने के चलते 1990 में 23 अक्टूबर से 10 नवंबर तक जेल में बंद रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1953 में स्नातक और 1955 में एलएलबी की परीक्षा पास की एक वर्ष की वकालत करके 1956 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। 8 जनवरी 2023 को लंबी बीमारी से उनका निधन हो गया।
Published on:
08 Jan 2023 01:08 pm
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