
Ex PM Atal Bihari VajpayeeEx PM Atal Bihari Vajpayee
इलाहाबाद :पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के अजातशत्रु अंतिम यात्रा पर संगम नगरी पहुचें।अमर हो चुके अटल की यात्रा संगम नगरी पहुंची,जो शनिवार को पूरी हुई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम का नारा गूँजता रहा। उन्हें देखने के लिए हजारो की भीड़ जुटी रही।18 बरस बाद शहर में पहुचें अटल का वही इन्जार था जो पहले हुआ करता था।भले ही इस यात्रा में अटल बिहारी वाजपेयी अमूर्त रूप में रहे ।
कविताओं से लेकर उनके भाषणों की रही चर्चा
संगम नगरी में आज अटल बिहारी बाजपेयी के अस्थि कलश में शामिल होने उन्हें पुष्पांजलि और अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए शहर उमड़ पड़ा । अपने नेता की सुनहरी यादों के साथ कार्यकर्ता और अन्य राजनीतिक दलों के लोगों के साथ इस शहर के विशिष्ट जन अटल जी को आखिरी विदाई देने साथ साथ चल पड़े।पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जुबां पर अपने नेता की कविताएं शहर में हुई उनकी सभाएं उनकी मुलाकातें एक दूसरे से साझा करते रहे। अटल जी को कोई उनकी कविताओं से याद कर रहा था ,तो कोई उनके दिए गये भाषण से ।
पहली बार हुआ की चुप चाप चले गये अटल
अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश यात्रा में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए घंटो तक लोगों ने इंतजार किया । जिस मार्ग से अटल बिहारी बाजपेयी का काफिला संगम नगरी की ओर रवाना हुआ । उन रास्तो के घरों और छतों पर क्या बूढ़े क्या बच्चे सभी फूल लेकर अपने नेता का इंतजार करते रहे । यह इंतज़ार उस तरह था मानो की कुछ देर बाद इन्ही गलियों में सड़कों पर गुजरते हुए अटल बिहारी वाजपेयी सब का अभिवादन स्वीकार करेंगे। भीड़ में साथ साथ चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल जी की सरकार के जमाने में इलाहाबाद के जिला अध्यक्ष रहे नरेंद्र देव पांडे ने कहा की कभी ऐसे ही उनकी सभाओं के लिए लोग इंतजार करते थे ।और हम सब कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में लगे रहते थे। नम आंखों से नरेंद्र पांडे कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है।जब अटल जी आए हैं और चुपचाप चले जा रहे हैं।नहीं तो उनकी कविताएं और उनकी एक एक शब्द कार्यकर्ताओं की जुबां पर महीनो रहा करता था ।
शहर में आने का कोई मौका नही छोड़ते थे
भाजपा के पूर्व विधायक प्रभा शंकर पाण्डेय ने कहा की वैसे तो संगम नगरी में अटल बिहारी वाजपेयी का आना 1986 और 88 के जमाने से रहा।जो 2004 तक अटूट कायम रहा। अटलजी शहर में राजनीतिक कारण हो या व्यक्तिगत आने का मौका नहीं छोड़ते थे । चाहे चुनावी सभा हो या किसी का आमंत्रण बताया की 1995 में अटल बिहारी बाजपेयी अपने सहयोगी और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की बेटी की शादी में आए थे । उस दौरान अटल जी उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं के साथ भेंट की सबके साथ भोजन किया जो एक ऐतिहासिक दिन रहा।
Published on:
25 Aug 2018 05:39 pm
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